Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने के विरोध में रविवार (18 सितबंर, 2022) को दारुल उलूम देवबंद में यूपी के मदरसों का सम्मेलन किया गया।

सम्मेलन में सरकार द्वारा मदरसों में करवाए जा रहे सर्वे को लेकर चर्चा हुई। बैठक के बाद एक प्रेस वार्ता की गई। जिसमें बैठक में हुई चर्चा और लिए गए फैसलों के बारे में बताया गया।

‘मदरसों का सर्वे कराना सरकार का हक’

मीडिया को संबोधित करते हुए जमीअत-उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि यह बैठक कोई नई बात नहीं है। इस तरह की बैठकें साल में 2-4 बार बुलाई जाती हैं। वहीं यूपी सरकार द्वारा कराए जा रहे सर्वे को लेकर मदनी ने कहा कि मदरसों का सर्वे करना सरकार का हक है। उन्होंने कहा कि अगर कोई सर्वे करने आता है तो उसकी मदद करनी चाहिए। अभी तक जहां भी सर्वे हुआ है, वहां से कुछ भी नकारात्मक खबर सामने नहीं आई है। सर्वे अच्छे से हुआ है।

‘सरकारी जमीन पर मदरसा है तो खुद तोड़ें’

अरशद मदनी ने कहा कि सरकारी जमीन पर मदरसा-मस्जिद बने, तो खुद तोड़ें। उन्होंने कहा कि जो लड़के बाहर से हाईस्कूल का सर्टिफिकेट लेकर आएंगे। उनको भी दारुल उलूम में एडमिशन दिया जाएगा। उन्हें भी दीनी तालीम देंगे। बाहर की शिक्षा भी जरूरी है। इसका सभी मदरसा संचालकों ने हाथ उठाकर समर्थन किया है।

मदनी रविवार को देवबंद की मस्जिद रशीदिया के एक सम्मेलन में बोल रहे थे। यहां यूपी सरकार में गैर-मान्यता वाले मदरसों के सर्वे पर लाइन ऑफ एक्शन तैयार हो रहा है। करीब 500 मदरसा संचालक और 5 हजार से ज्यादा लोग इस सम्मेलन का हिस्सा बने हैं। दारुल उलूम ने इस आयोजन में मीडिया को बैन रखा है। वहीं अब तक अब तक देवबंद के लगभग 250 मदरसों में सर्वे हो चुका है। इस बीच उलमा सर्वे को लेकर यूपी की योगी सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

‘मदरसों की कमियों को दूर करेगी कमेटी’

मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा, ‘अब 12 सदस्य कमेटी मदरसों के संपर्क में रहेगी। मदरसों के अंदर अगर कुछ कमियां हैं तो उनको दूर किया जाएगा। जरूरत हुई तो इस मसले पर सरकार से सीधे बातचीत की जाएगी। ताकि किसी भी तरह की गलतफहमी को दूर किया जा सके।

कासमी ने आगे कहा कि सरकार को मदरसों या मुसलमानों को टारगेट नहीं करना चाहिए। बल्कि देश हित में जो भी जरूरी हो, उन कार्यों को संवैधानिक तरीके से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह सरकार मदरसों को निशाना बना रही है। उससे पूरे एक वर्ग को टारगेट किए जाने का संदेश जा रहा है, जिसका हम विरोध करते हैं।

12 सदस्यीय कमेटी सरकार से करेगी वार्ता

बैठक में 12 सदस्य स्टेरिंग कमेटी गठित की गई। इसमें दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी, जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी, पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी, जमीयत उलमा हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, दारुल उलूम वक्फ देवबंद के मोहतमिम मौलाना मोहम्मद सुफियान कासमी, दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम मुफ्ती राशिद आजमी, मौलाना अशफक, आजमी, नियाज फारूकी, कमाल फारुकी, मुज्तबा फारूक, मौलाना अशहद रशीदी और मौलाना अजहर मदनी को शामिल किया गया है।

मीडिया को सम्मेलन से रखा गया दूर

मदरसों में सरकारी सर्वे को लेकर यूपी के मदरसों के सम्मेलन से मीडिया को दूर रखा जाएगा। बताया गया है कि मीडिया को अंदर जाने की मनाही होगी, लेकिन उन्हें जानकारी देने के लिए मीडिया सेल बनाया जाएगा। जहां से उन्हें सम्मेलन से जुड़ी जानाकारियां दी जा सकें।

बता दें, योगी सरकार के आदेश पर 10 सितंबर से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे चल रहा है। इसको लेकर उलेमा राज्य सरकार की मंशा को लेकर सवाल खड़े कर चुकी है।