उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर स्थित एक सरकारी अस्पताल के कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) पर सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सरकार के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का मामला दर्ज किया गया। मंगलवार सुबह तक CMS को निलंबित भी कर दिया गया। 100 बिस्तरों वाले इस अस्पताल के कार्यवाहक सीएमएस डॉ. भास्कर प्रसाद ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें फंसाया गया है और उनके खिलाफ साजिश रची गई है।

सरकार ने डॉ. भास्कर प्रसाद के खिलाफ अतिरिक्त आरोपों की विभागीय जांच के भी आदेश दिए हैं, जिनमें जैव-अपशिष्ट का अनुचित निपटान और मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदने के लिए कहना शामिल है। हालांकि डॉक्टर ने इन आरोपों का खंडन किया है।

AAP ने किया था प्रदर्शन

यह घटना शनिवार को हुई, जब आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रदर्शनकारियों का एक समूह बिरसिंहपुर के सरकारी अस्पताल के बाहर खड़ा था और अपर्याप्त सुविधाओं का आरोप लगा रहा था, जबकि डॉ. प्रसाद ने उन्हें शांत करने की कोशिश की। घटना का एक कथित वीडियो, जो वायरल हो गया था, उसमें एक व्यक्ति भास्कर प्रसाद से कह रहा था कि वे बिरसिंहपुर में सीएमएस और सीएमओ का पुतला जुलूस निकालेंगे। जवाब में भास्कर प्रसाद को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया, “सीएमओ की क्यों निकालोगे, सरकार की निकालोगे, योगी जी की निकालोगे।”

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आप नेता ने ‘अर्थी’ शब्द का इस्तेमाल किया- डॉक्टर

इसके बाद एक स्थानीय भाजपा नेता ने डॉ. भास्कर प्रसाद के खिलाफ जयसिंहपुर पुलिस स्टेशन में सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने का मामला दर्ज कराया और बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई। हालांकि डॉ. भास्कर प्रसाद ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत या अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कहा, “पिछले तीन वर्षों में, मेरी पत्नी सहित मेरे कुछ करीबी परिवार के सदस्यों का निधन हो गया और मैं तब परेशान हो गया जब आप नेता ने ‘अर्थी’ शब्द का इस्तेमाल किया और कहा कि वे मेरा अंतिम संस्कार करेंगे। मैंने बस यही कहा कि वे मेरा जुलूस क्यों निकालेंगे। उन्हें सरकार के खिलाफ जुलूस निकालना चाहिए। किसी ने वीडियो बना लिया और स्थानीय विधायक (भाजपा) राज प्रसाद उपाध्याय ने उसे प्रसारित कर दिया और डीएम, सीएमओ, अयोध्या के अतिरिक्त निदेशक बीकेएस चौहान और डीजी (स्वास्थ्य) को भी शेयर किया। मैं जल्द ही अदालत का दरवाजा खटखटाऊंगा और अपने ऊपर लगे झूठे आरोपों और उसके बाद हुए निलंबन से राहत की मांग करूंगा।”

ब्रजेश पाठक ने निलंबन को ठहराया सही

वहीं घटना पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (जो स्वास्थ्य मंत्री भी हैं) ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि डॉक्टर को राज्य सरकार के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए निलंबित कर दिया गया है। ब्रजेश पाठक ने कहा कि अस्पताल एक साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन आप कार्यकर्ता अपर्याप्त सुविधाओं का आरोप लगा रहे थे। उन्होंने कहा कि एक वीडियो में प्रदर्शनकारियों ने डॉक्टर को चेतावनी देते हुए दिखाया कि वे उनका पुतला जुलूस निकालेंगे और डॉक्टर को यह कहते हुए सुना गया कि सरकार के पुतले के साथ जुलूस निकालो। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इस ग्रामीण इलाके के अस्पताल में बहुत अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया, “सभी ज़रूरतों को पूरा करने में समय लगता है।”

इस मामले पर भाजपा सुल्तानपुर ज़िला अध्यक्ष सुशील त्रिपाठी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “वीडियो देखने के तुरंत बाद हमने ज़िला प्रशासन और संगठन के अपने वरिष्ठ नेताओं को इसकी सूचना दी। हमारे मंडल अध्यक्ष ने डॉक्टर के ख़िलाफ मामला दर्ज करवाया। उन्होंने सरकार विरोधी टिप्पणी करके सेवा नियमों का उल्लंघन किया है। सरकार द्वारा उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई पहले ही की जा चुकी है।”

स्वास्थ्य निदेशालय के निर्देश पर अधिकारियों की एक टीम ने सोमवार को अस्पताल का दौरा किया और एक रिपोर्ट सौंपी। सुल्तानपुर ज़िले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. भारत भूषण ने कहा कि डॉ. प्रसाद के ख़िलाफ विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं और लखनऊ स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल के निदेशक को जांच सौंपी गई है। सीएमओ ने बताया कि डॉ. प्रसाद को अयोध्या के अपर निदेशक कार्यालय से संबद्ध किया गया है। इस बीच डॉ. प्रसाद ने स्थानीय विधायक पर कार्यवाहक सीएमएस के रूप में उनकी नियुक्ति का कथित रूप से विरोध करने का भी आरोप लगाया और कहा कि विधायक अपने ठेकेदारों के लिए फ़ायदा चाहते थे, जिसे मैंने देने से इनकार कर दिया।

अपने ऊपर लगे अन्य आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, डॉ. भास्कर प्रसाद ने कहा, “वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल का दौरा करने वाले अतिरिक्त निदेशक को मानव मल में प्लास्टिक का एक कण मिला और उन्होंने मुझे लापरवाही का ज़िम्मेदार ठहराया। मुझे यह भी नहीं पता कि किसी नर्स या ड्यूटी पर मौजूद आपातकालीन चिकित्सा अधिकारी ने किसी मरीज़ को बाहर से दवाइयां लिखी थीं या नहीं। ये सभी आरोप मुझ पर लगाए गए हैं। मैं 1999 बैच का हूं और पिछले सीएमएस के सेवानिवृत्त होने के एक महीने बाद मुझे कार्यवाहक सीएमएस का कार्यभार सौंपा गया था।” स्थानीय विधायक ने टिप्पणी के लिए किए गए कॉल और संदेशों का कोई जवाब नहीं दिया।