सफलता की मूल कुंजी है मेहनत। आमतौर पर यूपीएससी (UPSC) की तैयारी में सैकड़ों छात्र हर साल कोचिंग की ओर रुख करते हैं, लेकिन हर साल कुछ ऐसे उम्मीदवार होते हैं जो बिना कोचिंग के अपनी मेहनत की बदौलत यूपीएससी क्लियर करते हैं।
ऐसे ही एक उम्मीदवार थीं तपस्या परिहार (IAS Tapasya Parihar)। किसान पिता की बेटी जब दिल्ली यूपीएससी की तैयारी के लिए पहुंची तो पहली बार उसे सफलता नहीं मिली। इसके बाद तपस्या ने कोचिंग छोड़ दी और सेल्फ स्टडी पर अपना पूरा ध्यान फोकस कर लिया। अगली बार जब तपस्या सिविल परीक्षा में बैठी तो उसने कहा कि वो अपना 100 प्रतिशत इस एग्जाम में नहीं दे पाई है, लेकिन जब यूपीएससी का रिजल्ट आया तो तपस्या ने 23वीं रैंक हासिल की थी।
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर की रहने वाली तपस्या परिहार (Tapasya Parihar) ने अपनी शुरूआती शिक्षा सेंट्रल स्कूल से पूरी की। 10वीं और 12वीं, दोनों में तपस्या ने स्कूल टॉप किया था। यहीं से यूपीएससी (UPSC) का सपना देखना शुरू कर दिया गया था। इसमें तपस्या की दादी उन्हें हमेशा हौसला देती रहीं।
जहां आमतौर पर घरों में लड़कियों की शादी करने की जल्दी रहती है, ज्यादा पढ़ाने पर परिवार का ध्यान नहीं रहता है, वहां तपस्या के परिवार ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया। मध्यप्रदेश से स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के बाद तपस्या आगे की पढ़ाई के लिए पुणे चली गईं। यहां से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की।
तपस्या बताती हैं- “यूपीएससी (UPSC) परीक्षा के लिए सबसे पहले चाचा ने मुझे प्रेरित किया था। जब मैं पुणे में थी, तब ही वास्तव में इस पर विचार किया था। सीएसई के लिए उपस्थित होना और प्रशासन का हिस्सा बनना मेरे चाचा का सपना था। वह इसे हासिल नहीं कर सके थे”।
अपनी कानून की डिग्री का पढ़ाई करते हुए, तपस्या कानूनी सहायता प्रकोष्ठ का हिस्सा थीं। छात्र समन्वयक के रूप में पहली बार उन्हें यह देखने को मिला कि कई ऐसी समस्याएं थी, जिसका मूल कारण प्रशासनिक था। इन प्रशासनिक कार्यों का अनुभव और कमियों ने भी उन्हें यूपीएससी की ओर खींच लाया।
इसलिए 2015 में अपना पांच साल का लॉ कोर्स खत्म होने के बाद तपस्या ने सिविल परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। तपस्या ने कहा- “मैं दिल्ली पहुंची और अगस्त 2015 में एक कोचिंग संस्थान में दाखिला लिया। मेरे चाचा जिन्होंने 15 साल पहले सिविल एग्जाम की तैयारी की थी, उनसे जानकारी लेकर मैंने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी।
इस दौरान तपस्या परिहार (IAS Tapasya Parihar) के परिवार को उसके दिल्ली जाने और अकेले रहने में सहज महसूस नहीं हुआ। हालांकि बाद में वो भी मान गए। कोचिंग के दौरान तपस्या को ये महसूस होने लगा वो यहां पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएगी। इसी बीच तपस्या पहली बार यूपीएससी एग्जाम में बैठी।
2016 में अपने पहले प्रयास के दौरान, तपस्या ने महसूस किया कि उसने जो तैयारी की थी, उसके मुकाबले यह एग्जाम बहुत बडे़ लेवल का था। उन्हें सभी विषयों का बहुत ही सतही ज्ञान था। एग्जाम खराब गया और वो सफल नहीं रही। हर जगह सफलता का स्वाद चख चुकी तपस्या के लिए ये बहुत कठिन समय था। इस दौरान उनके घरवालों ने पूरा सहयोग किया।
दूसरी बार जब वो तैयारी शुरू की तो सेल्फ स्टडी पर अपना ध्यान फोकस कर दिया। उन्होंने कहा- “ऑनलाइन उपलब्ध सभी सूचनाओं के साथ, मैंने एक पुस्तक सूची तैयार की और तैयारी शुरू कर दी”।
जब उन्होंने यूपीएससी के दूसरे प्रयास की तैयारी शुरू की, तो उन्होंने अपनी रणनीति बदली और उनका पहला लक्ष्य अधिक से अधिक नोट्स बनाना और उत्तर पत्रों को हल करना था। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और उन्होंने इस बार वो यूपीएससी में ऑल इंडिया 23वां स्थान पाया।
सफलता की बात करते हुए तपस्या कहती हैं- “पता नहीं लोग कैसे 14 से 16 घंटे तक पढ़ाई कर लेते हैं, मैं तो रोज 8-10 घंटे और मेन्स के समय में 12 घंटे तक की पढ़ाई की थी। इससे ज्यादा मैं पढ़ ही नहीं पाई”।
तपस्या परिहार (IAS Tapasya Parihar) फिलहाल मध्यप्रदेश में तैनात हैं और अपने इलाके साथ-साथ राज्य के विकास में योगदान दे रही हैं।