उत्तर प्रदेश सरकार, विरासत स्मारकों के पुनरुद्धार और पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है। इसके तहत सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत ऐतिहासिक किलों और इमारतों को विरासत लक्जरी होटलों, सांस्कृतिक केंद्रों और संग्रहालयों में बदलने का काम कर रही है। पहले चरण में, राज्य भर में ऐसी 11 संपत्तियों की पहचान की गई है।

राज्य के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “जिस तरह राजस्थान में किलों को विरासत संपत्तियों के रूप में विकसित किया जाता है, संरक्षित किया जाता है वह राज्य के लिए राजस्व सृजन का एक अच्छा स्रोत भी बनता है। उसी तरह हम उत्तर प्रदेश के किलों के लिए भी ऐसा ही करने की तैयारी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बहुत संभावनाएं हैं क्योंकि हमारे पास कुछ अच्छी विरासत संपत्तियां हैं जिनमें लोगों ने पहले ही रुचि दिखानी शुरू कर दी है।”

राज्य सरकार ने की 31 संपत्तियों की पहचान

मंत्री सिंह ने आगे कहा, “राज्य भर में हमने 31 संपत्तियों की पहचान की है जिनमें से चार को हमने पीपीपी मॉडल पर आवंटित कर दिया है और कई लोग रुचि दिखा रहे हैं। हमारा उद्देश्य इन संपत्तियों की मदद से राजस्व वृद्धि में तेज़ी लाना है और हमें उम्मीद है कि ये संपत्तियाँ विशेष रूप से राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में योगदान देंगी क्योंकि इन संपत्तियों पर आने वाले आगंतुकों से स्थानीय विक्रेताओं और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।”

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इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2022 में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिए गए सुझाव का हवाला दिया। इसमें उन्होंने बुंदेलखंड के किलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की संभावनाओं का पता लगाने का सुझाव दिया था जैसा कि कई यूरोपीय देशों में किया जाता है। सीएम आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर चार किलों सहित 5 स्मारकों को विकास और संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को हस्तांतरित करने की मांग की थी। ये पांचों स्मारक संस्कृति मंत्रालय के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में हैं।

योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड को भारत का दिल बताया

अपने पत्र में, योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड को भारत का दिल बताया। उन्होंने इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर सामने लाने के लिए बुंदेलखंड के प्राचीन स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों के पुनरुद्धार की आवश्यकता पर बल दिया। 16 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में, मुख्यमंत्री ने बताया कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के दौरान, प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड के महलों, किलों और स्मारकों के संरक्षण, संवर्धन और विकास को प्रोत्साहित किया, उन्हें पर्यटन के विश्व मानचित्र पर स्थापित किया और उनका विकास किया।”

सीएम आदित्यनाथ ने आगे कहा, “इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार के स्वामित्व वाले स्मारकों के संरक्षण, संवर्धन और विकास की पहल की गई है। इससे बुंदेलखंड के स्थानीय निवासियों को आजीविका के साधन उपलब्ध होंगे और इसकी ऐतिहासिक विरासत का समुचित संरक्षण हो सकेगा।” पत्र में उल्लेख किया गया है कि पर्यावरण नियोजन एवं प्रौद्योगिकी केंद्र, अहमदाबाद द्वारा एक सर्वे और अध्ययन किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में 31 स्थलों का चयन किया और उनकी क्षमता, संरक्षण और विकास के लिए एक रूपरेखा और कार्ययोजना प्रस्तुत की। अध्ययन में बताया गया है कि इन 31 स्थलों में से 5 स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में हैं। इनमें तालबेहट किला (ललितपुर जिला), कालिंजर किला (बांदा), मड़फा (चित्रकूट) और बरुआ सागर झांसी के घाट की सीढ़ियां शामिल हैं।

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