उत्तर प्रदेश के शामली में एक इमाम के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने एक मस्जिद में लगे लाउडस्पीकर को कथित तौर पर ध्वानि सीमा से अधिक वॉल्यूम में बजाने के आरोप में एक इमाम के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि ज़िले के घुमथल गांव के इमाम को स्थानीय निवासियों की शिकायतों के बाद डेसिबल सीमा (Permissible Decibel Limits) का उल्लंघन करने के ख़िलाफ़ बार-बार चेतावनी दी गई थी।

सब-इंस्पेक्टर सोनू चौधरी जिनकी शिकायत पर पुलिस ने मौलाना रफीक खान के खिलाफ मामला दर्ज किया था, उन्होंने बताया कि वह नियमित गश्त पर थे, जब उन्होंने पाया कि मस्जिद का लाउडस्पीकर निर्धारित स्तर से अधिक आवाज में बज रहा है। हालाँकि, पुलिस ने उक्त लाउडस्पीकर की आवाज़ के बारे में विस्तार से नहीं बताया। बनियाठेर थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) मनोज वर्मा ने बताया, “सब-इंस्पेक्टर चौधरी ने पहले इमाम को लाउडस्पीकर इतनी तेज़ आवाज़ में न बजाने की चेतावनी दी थी। जब उनकी बात नहीं मानी गई तो अधिकारी ने औपचारिक शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद एफ़आईआर दर्ज की गई।”

शामली: मस्जिद में लाउडस्पीकर की तेज आवाज को लेकर निवासियों की शिकायतें

SHO वर्मा ने बताया कि मस्जिद में लाउडस्पीकर की तेज़ आवाज़ को लेकर निवासियों की ओर से पहले भी शिकायतें आती रही हैं। पुलिस की एक टीम ने मस्जिद का दौरा किया था और इमाम को आवाज़ को स्वीकार्य डेसिबल सीमा के भीतर रखने की सलाह दी थी।” एसएचओ ने कहा, “चूंकि कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई और उल्लंघन दोहराया गया इसलिए पुलिस ने अब मामले में कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है।” अधिकारियों ने बताया कि इमाम खान पर बीएनएस धारा 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) और 293 (निषेध के बाद भी उपद्रव जारी रखना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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पुलिस के अनुसार घुमथल एक हिंदू बहुल गांव है। एसएचओ ने कहा, “किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर गांव में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।”

Source- Indian Express

लाउडस्पीकरों के लिए Permissible Decibel Limits

साल 2000 में, सुप्रीम कोर्ट ने लाउडस्पीकरों के लिए (Permissible Decibel Limits) निर्धारित कीं जिनमें आवासीय क्षेत्रों के लिए प्राथमिक दिशानिर्देश है कि दिन में आवाज 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए। ये सीमाएं ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 का एक हिस्सा हैं, जो यह भी निर्धारित करते हैं कि लाउडस्पीकरों के लिए अधिकारियों से पूर्व लिखित अनुमति आवश्यक है और आमतौर पर रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच इनका उपयोग प्रतिबंधित है। अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि एक से अधिक लाउडस्पीकरों से उत्पन्न होने वाला कुल शोर किसी क्षेत्र के परिवेशीय मानकों से अधिक नहीं होना चाहिए।

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