UP Politics: उत्तर प्रदेश में विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है। ऐसे वक्त में जब सत्तारूढ़ बीजेपी के लगभग 40 से ज्यादा ब्राह्मण विधायक और एमएलसी अपने एक सहयोगी के लखनऊ वाले आवास पर रात्रिभोज में जुटे, तो यूपी की सियासत का पारा चढ़ गया और हलचल सीएम आवास तक गई, और इसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी पेश किया गया।
ब्राह्मण विधायकों द्वारा किए गए इस आयोजन को बीजेपी ने “अनौपचारिक सभा” बताया। वहीं विपक्ष ने इसे पार्टी के ब्राह्मण विधायकों के भीतर असंतोष का नतीजा बताकर सीधे योगी सरकार पर तंज कसा। विपक्ष द्वारा दावा ये किया गया कि वे असहाय और अपमानित महसूस कर रहे थे, इसलिए उन्हें अपनी भविष्य की योजना बनाने के लिए एकजुट होने को मजबूर होना पड़ा।
मॉनसून सत्र में हुई थी क्षत्रिय विधायकों की मीटिंग
जानकारी के मुताबिक, बीजेपी और एनडीए के विधायकों की ये बैठक शाम करीब 7 बजे शुरू हुई और आधी रात तक चली। दिलचस्प बात यह है कि विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान लखनऊ में पार्टी के क्षत्रिय विधायकों की इसी तरह की एक अनौपचारिक बैठक हुई थी, जिसको लेकर कई तरह के सियासी कयास लगाए गए थे।
केशव प्रसाद बोले- जाति के चश्मे से न देखें
विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों की इसे नियमित अनौपचारिक बैठक बताते हुए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि ये सभी लखनऊ में हैं। इसे जाति या किसी अन्य दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए। जब भी विधायक विधानसभा सत्र के लिए यहां आते हैं, वे एक-दूसरे से मिलते हैं। इसे ब्राह्मणों या किसी अन्य समुदाय की सभा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें: ‘घर तो उनका उन्नाव में है…’, ओम प्रकाश राजभर ने उन्नाव रेप पीड़िता का उड़ाया मजाक
रात्रिभोज के मेजबान विधायक पीएन पाठक ने मौर्य के कथन का समर्थन करते हुए कहा कि यह एक साधारण सामुदायिक रात्रिभोज था। सभी लोग एक साथ बैठकर ‘लिट्टी चोखा’ खाना चाहते थे, इसलिए मैंने उन्हें आमंत्रित किया। हमने मुख्य रूप से राज्य में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) और अपने-अपने क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों पर चर्चा की। हम सभी राज्य सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं।
ब्राह्मणों की उपेक्षा रहा बैठक का मुद्दा
बता दें पीएन पाठक कुशीनगर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। दूसरी ओर सूत्रों का दावा है कि रात्रिभोज के दौरान हुई चर्चा के मुख्य विषयों में ब्राह्मण समुदाय के प्रति कथित भेदभाव और उनकी उपेक्षा शामिल थी। उन्होंने एकजुट होकर अपनी आवाज़ उठाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
यह भी पढ़ें: ‘कब्जा कोई भी करेगा छोड़ूंगा नहीं, कोई भी बुलडोजर को रोक नहीं सकता…’, विधानसभा में विपक्ष पर बरसे योगी आदित्यनाथ
दूसरी ओर विधायक अनिल त्रिपाठी ने रात्रिभोज बैठक में शामिल होने का दावा किया है। उन्होंने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि हम लगभग चार घंटे तक वहां रहे, इस दौरान सामाजिक और राजनीतिक दोनों मुद्दों पर चर्चा हुई। हमारी सबसे बड़ी चिंताओं में से एक यह थी कि हमारे समुदाय ने भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन आज ब्राह्मण समाज के लोगों को समाज में अपमानित किया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह एक सामाजिक और सामान्य चिंता का विषय है और इसका सरकार के कामकाज से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।
सामाजिक मुद्दों के लिए बैठक
इसके अलावा बैठक में मौजूद एक अन्य विधायक रत्नाकर मिश्रा ने इस घटनाक्रम के बारे में हल्के-फुल्के लहजे में बात करते हुए कहा कि बैठक लोगों में संस्कारों को स्थापित करने जैसे सामाजिक मुद्दों के लिए थी। बैठक में उपस्थित लोगों में विधायक रत्नाकर मिश्रा, शलभ मणि त्रिपाठी और रमेश मिश्रा तथा एमएलसी साकेत मिश्रा और उमेश द्विवेदी शामिल थे। बैठक का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
यह भी पढ़ें: अब ‘घरौनी’ ही पक्का सरकारी कागज, गांवों में मालिकाना रिकॉर्ड अपडेट करना आसान, यूपी में जमीनी विवादों पर लगेगा ब्रेक
बीजेपी नेताओं के स्पष्टीकरण के बावजूद विपक्ष ने इस घटनाक्रम को लेकर सत्ताधारी पार्टी पर कटाक्ष किया और दावा किया कि सत्ताधारी पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेयी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सत्ताधारी पार्टी के सदस्य विभाजित हैं, क्योंकि एक विशेष जाति के नेताओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। एक विशेष जाति के सदस्यों को बड़ी गाड़ियां मिल रही हैं, जबकि ब्राह्मणों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसलिए यह सभा कोई आश्चर्य की बात नहीं थी।
इस साल की शुरुआत में ही हुआ था टकराव
इस साल की शुरुआत में बीजेपी विधायक और मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने अकबरपुर पुलिस स्टेशन के सामने धरना दिया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य में ब्राह्मणों का सम्मान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने पार्टी सांसद देवेंद्र सिंह को निशाना बनाते हुए आरोप लगाया था कि ब्राह्मणों द्वारा उन्हें वोट दिए जाने के बावजूद वे ब्राह्मणों के लिए खड़े नहीं होते हैं।
यह भी पढ़ें: अखलाक लिंचिंग केस में योगी सरकार को बड़ा झटका, कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ केस वापसी की अर्जी खारिज की
