यूपी पुलिस को यह समझने में पांच महीने लगे कि लापता चल रहा उनका एक कॉन्स्टेबल 1987 के चर्चित हाशिमपुरा नरसंहार केस का दोषी है और तिहाड़ जेल में आजीवन कैद की सजा भोग रहा है। पिछले साल नवंबर में एक महीने की छुट्टी पर जाने के बाद से कॉन्स्टेबल कंवल पाल सिंह लापता हो गए थे। 55 साल के कंवल बिजनौर के बधापुर पुलिस स्टेशन में तैनात थे। एक विभागीय जांच के बाद पिछले शुक्रवार को कंवल पाल को बर्खास्त किया गया है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, कंवल पाल पिछले साल 15 नवंबर को छुट्टी पर गए थे। खबर के मुताबिक, यूपी पीएसी के जवान कंवल पाल के सहकर्मियों को शायद यह नहीं पता था कि कंवल पाल को दिल्ली हाई कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2018 को दोषी करार दिया था। कंवल पाल और 15 अन्य लोगों पर मेरठ के हाशिमपुरा में 22 मई 1987 को 42 मुस्लिम लोगों की गोली मारकर हत्या करने का दोष साबित हुआ था। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इससे पहले, ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में आरोपी 19 पीएसी जवानों को बरी कर दिया था। हाई कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया था। कोर्ट ने दोषियों को 22 नवंबर से पहले सरेंडर करने कहा था। यह आदेश सिंह के छुट्टी पर जाने से एक हफ्ते पहले ही दिया गया था।
कॉन्स्टेबल सिंह के साढ़े तीन महीने तक ड्यूटी पर न लौटने के बावजूद किसी को उनके हाशिमपुरा केस में दोषी होने की जानकारी नहीं मिली। 1 अप्रैल 2019 को लापरवाही के आरोप में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। वहीं, उनके बारे में पता लगाने के लिए विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए। बिजनौर के एसपी विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया, ‘इंक्वायरी में यह पता चला कि अपनी सेवाकाल में कंवर पाल और 15 अन्य लोगों के खिलाफ हाशिमपुरा नरसंहार केस में मामला दर्ज किया गया था। उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्होंने तीस हजारी कोर्ट के समक्ष सरेंडर किया और इस वक्त तिहाड़ जेल में हैं।’ श्रीवास्तव के मुताबिक, इंक्वायरी रिपोर्ट मिलने के बाद कंवर पाल को बर्खास्त कर दिया गया।