BJP MP Rita Bahuguna Joshi: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज में भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ 2008 में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह मामला उस समय का है जब रीता बहुगुणा जोशी प्रयागराज की महापौर थीं। इस मामले को वापस लेने के संबंध में प्रदेश सरकार ने पिछले महीने प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट को एक पत्र लिखकर इसमें बिंदु 10 और 13 को फिर से स्पष्ट करते हुए नवीन संशोधित 16 बिंदुओं पर आख्या के साथ वाद की अद्यतन स्थिति से शासन को अवगत कराने को कहा था।
प्रयागराज के जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद अग्रहरि ने बताया कि सरकार द्वारा 16 बिंदुओं पर आख्या मांगी गई है और आख्या दिए जाने के बाद शासन के आदेश पर अदालत में मामले को वापस लिए जाने का प्रार्थना पत्र दिया जाएगा। हालांकि यह अदालत पर निर्भर है कि वह मामले को वापस लेने की अनुमति देती है या नहीं।
16 जनवरी 2008 है मामला
प्रयागराज पुलिस के मुताबिक, मामला 16 जनवरी 2008 का है, जब एक शिव बाबू गुप्ता ने रीता बहुगुणा जोशी और पांच अन्य के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि मेयर के पद पर रहते हुए रीता बहुगुणा जोशी ने बिना नियमों का पालन किए एक व्यक्ति को सरकारी जमीन का प्लॉट आवंटित कर दिया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। शिकायतकर्ता का आरोप है कि घटना 1997 की है।
रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज को वास्तविक के रूप में उपयोग करना) और 120-बी (आपराधिक साजिश) सहित विभिन्न आईपीसी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
आचार संहित उल्लंघन का दोषी ठहरा चुकी अदालत
पिछले साल नवंबर में लखनऊ की एक विशेष अदालत ने रीता बहुगुणा जोशी और चार अन्य को 2012 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में दोषी ठहराया था। अदालत ने आदेश दिया कि जोशी सहित सभी दोषियों को रिहा करने से पहले छह महीने की अवधि के लिए प्रोवेशन पर रखा जाए।
इससे पहले, 2019 में प्रयागराज की एक विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका को उनके खिलाफ 2010 में दर्ज एक मामले को वापस लेने की अनुमति दी थी। उन पर एक पुलिस टीम पर हमला करने का आरोप लगाया गया था, जब उन्हें कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मुख्यमंत्री आवास की तरफ मार्च करने से रोका गया था।
