फरवरी 2024 में पर्चा फोड़ की वजह से पुलिस भर्ती की जो परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी, उसी परीक्षा के दोबारा परिणाम आने के बाद रविवार को लखनऊ में साठ हजार 244 आरक्षी नागरिक पुलिस के जवानों को नियुक्ति पत्र बांटें गए। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सात साल के कार्यकाल में 24 से अधिक परीक्षाएं रद्द की जा चुकी हैं। इन परीक्षाओं के रद्द होने से प्रदेश के युवा, सरकार से बेहद खफा हैं। उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए योगी सरकार ने नियुक्ति पत्र वितरण के लिए भव्य जलसा आयोजित किया।

उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं का पर्चा फोड़ होना रवायत बन चुकी है। नौकरी की आस लगाए प्रदेश के 50 फीसद से अधिक युवा सरकार से नाराज हैं। 23 अगस्त, 2017 को उप निरीक्षक भर्ती का पर्चा फोड़ हो गया। फरवरी 2018 में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के जूनियर इंजीनियर की परीक्षा का पर्चा बाहर आ गया। इस घटना के ठीक दो महीने बाद अप्रैल 2018 में उत्तर प्रदेश पुलिस का पर्चा फूट गया। इसके ठीक तीन महीने बाद जुलाई 2018 में अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड का पर्चा फोड़ हो गया।

बेरोजगारों के सपनों के साथ लगातार खेलते रहे

इस घटना के अगले ही महीने, अगस्त में स्वास्थ्य विभाग के प्रोन्नति पेपर में भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आईं। इसके अगले महीने, सितंबर 2018 में नलकूप आपरेटर भर्ती का पर्चा फोड़ हो गया। लगातार हो रहे पर्चा फोड़ ने भाजपा सरकार को सकते में ला दिया। इधर, सरकार पर्चा फोड़ की उच्चस्तरीय जांच का आदेश देती रही, उधर इसके पीछे शामिल गिरोह उत्तर प्रदेश के बेरोजगारों के सपनों के साथ लगातार खेलते रहे और अपनी जेबें गर्म करते रहे।

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पर्चा बाहर आने की अगली वारदात जुलाई 2020 में हुई, जिसमें 69,000 शिक्षक प्रभावित हुए। इसके ठीक एक साल बाद हुई अगस्त 2021 में हुई बीएड प्रवेश परीक्षा का पर्चा फोड़ हो गया। अक्तूबर 2021 में सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षक और प्राचार्यों का पर्चा बाहर आ गया। इसी क्रम में दिसंबर 2021 में यूपीटीईटी का पर्चा फोड़ हुआ। उसके बाद एनडीए, एसएससी और उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती का पेपर फोड़ हुआ।

रविवार को जिन साठ हजार 244 सिपाहियों को नियुक्ति पत्र बांटा गया, उनकी परीक्षा का वर्ष 2024 फरवरी में पर्चा फोड़ हो गया था। तीन लाख अभ्यर्थी 17 व 18 फरवरी को इस परीक्षा देने आए थे। कड़ाके की सर्दी में उन्होंने रेलवे स्टेशनों और फुटपाथ पर रात गुजार कर परीक्षा दी। लेकिन परीक्षा का पर्चा फोड़ हो जाने से इसे निरस्त कर दिया गया। शुरू में प्रदेश सरकार के अधिकारी इस परीक्षा के प्रश्नपत्र के लीक होने की बात पर टालमटोल करते रहे। लेकिन लीपापोती करने के उनके प्रयास सफल न होने पर उन्हें इस बात को स्वीकार करना पड़ा कि पुलिस भर्ती परीक्षा का पर्चा फोड़ हुआ है।

एक ही मामलों का हल नहीं खोज पाई है सरकार

बीते सात सालों में उत्तर प्रदेश में पर्चा फोड़ होने के 24 मामले सामने आने के बाद भी यूपी सरकार इससे पार पाने का मुकम्मल हल अब तक खोज नहीं पाई है। इसकी वजह से बेरोजगार युवा बेहद परेशान और क्षुब्ध हैं। ताजा ममला यूपी-पीजीटी यानी प्रवक्ताओं की भर्ती परीक्षा से जुड़ा हुआ है। इसी वर्ष 18 व 19 जून को पीजीटी की लिखित परीक्षा आयोजित की जानी थी। इसे अपरिहार्य कारणों का हवाला दे कर स्थगित कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश में लगातार परीक्षाओं के पर्चा फूटने के बारे में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अनुराग भदौरिया कहते हैं, वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने युवाओं को सपना दिखाया था कि उनकी सरकार बनी तो वह हर साल 75 लाख लोगों को रोजगार देगी। क्या वह ऐसा कर पाई? क्या वह हर साल उत्तर प्रदेश के बेरोजगारों को 75 लाख रोजगार दे पाई? उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में लगातार परीक्षाओं के पेपर जिस तरह फोड़ हो रहे हैं, दरअसल सरकारी संस्थानों के निजीकरण की पटकथा लिखी जा रही है। अधिकांश विभागों में बाहर से पद भरे जा रहे हैं। जो नियुक्तियां निकल भी रही हैं, उनका हाल किसी से छुपा नहीं है। आने वाले विधानसभा चुनावों में यही बेरोजगार उन्हें सबक सिखाएंगे।