उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के यमुनापार बसवार गांव में रविवार को उस समय अफरा तफरी मच गई जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा के काफिले में भेड़ों का झुंड घुस गया। प्रियंका यमुना किनारे कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों के साथ टूटी हुई नावें देखने पैदल जा रही थीं।
प्रियंका के काफिले में भेड़ों का झुंड घुसने पर भी काफिले की गति बनी रही और प्रियंका अपने कार्यकर्ताओं और लोगों के साथ घटनास्थल की ओर बढ़ती रहीं। हालांकि इस बीच चरवाहा गेंदा लाल पाल इस घटना से परेशान हो उठे और वह डंडे से भेड़ों को हांक कर बाहर निकालने में लगे रहे।
कांग्रेस नेता के मौके से रवाना होने के बाद बाद गेंदा लाल पाल ने बताया कि उन्हें कुछ देर पहले ही पता चला कि (दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री) इंदिरा गांधी की पोती, प्रियंका गांधी यहां आई हैं।
काफिले में भेड़ों के झुंड के घुसने के बारे में गेंदा लाल ने कहा, “हमें तो बस इस बात का डर था कि इस भीड़ में कहीं हमारी भेड़ खो ना जाए। लेकिन भगवान की कृपा से हमारी सभी 100 भेड़ें मिल गईं।” उल्लेखनीय है कि चार फरवरी, 2021 को जिला प्रशासन और पुलिस ने बालू के कथित अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए निषाद समाज के लोगों को कथित तौर पर पीटा था और उनकी नावें तोड़ दी थीं। कांग्रेस महासचिव पीड़ितों से आज मिलने यहां आयी थी।
‘योगी सरकार खनन माफिया के लिए चलाई जा रही’: प्रयागराज के यमुनापार बसवार गांव में कथित पुलिस उत्पीड़न के शिकार लोगों के बीच रविवार को आईं प्रियंका ने प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधा। कहा कि प्रदेश की सरकार खनन माफिया और दूसरे अन्य माफियाओं के लिए चलाई जा रही है। चौपाल में वह बोलीं, “यहां के लोगों ने मुझे बताया कि किस तरह से पहले पट्टे मिलते थे, आपका उन पर अधिकार होता था और आपको कुछ चीजों की छूट थी। यह छूट इसलिए थी क्योंकि उस समय की सरकार यह समझती थी कि नदियों, जंगल, पहाड़ के आसपास के रहने वाले लोग नदियों और जंगल को कभी हानि नहीं पहुंचाएंगे क्योंकि आपका जीवन उस पर निर्भर है।”
बसवार के निषाद समाज के लोगों ने प्रियंका को आप बीती सुनाईः उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर यमुनापार बसवार गांव में रविवार को लगी चौपाल में स्थानीय लोगों ने पुलिस उत्पीड़न की पीड़ा वाड्रा से साझा की। पिछले चार फरवरी को बालू के अवैध खनन में कथित तौर पर लिप्त लोगों को पुलिस ने कथित तौर पर पीटा था और उनकी नावें भी तोड़ दी थीं। चौपाल में मौजूद रामलोचन नामक एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा, “हमारे पास खेत बाड़ी कुछ नहीं है और इसी नदी पर हमारी रोजी रोटी निर्भर है। कितनी शर्मनाक बात है कि हमारी बहन बेटियों को पुलिसवालों ने पीटा और हमारी नौका भी तोड़ दी।”