UP Bypolls: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व पर उंगलियां उठाई जाने लगी थी। उस दौरान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जब यह कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है तो यह साफ दिखाई दिया कि उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन के बीच में दूरियां बढ़ गई है। तब योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों के उपचुनाव की कमान संभाली, बल्कि हरियाणा, जम्मू के चुनाव के साथ ही झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव प्रचार में भी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए धुआंधार चुनाव प्रचार किया।
वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उपचुनाव की सभी नौ सीटों पर जोरदार प्रचार किया। मतदान के बाद अखिलेश यादव ने यहां तक कहा कि निरकुंश सरकार की तानी हुए बंदूक भी पीडीए के लोगों का हौसला न तोड़ सकी। यह उपचुनाव पीडीए की एकजुटता और भाजपा के खिलाफ राज्य की 90 प्रतिशत आबादी के चुनाव थे। अखिलेश दावा किया कि बीजेपी की लाख कोशिशों के बावजूद भी इंडिया की टीम और पीडीए की रणनीति नैतिक रूप से सभी नौ सीटों पर चुनाव जीत चुकी है। अब सबसे अपील है कि अपने वोट की रक्षा करें और जीत का प्रमाणपत्र लेकर थोड़ा विश्राम करें और फिर जनसेवा के लिए निकल पड़ें। अखिलेश ने कहा कि अगर निष्पक्ष मतगणना हुई तो हो सकता सपा सभी नौ सीटें जीतेगी।
योगी के बटेंगे तो कटेंगे का नारा दिखाया करिश्मा?
सीएम योगी द्वारा दिए गए बटेंगे तो कटेंगे के नारे को लेकर पूरे देश भर में जबरदस्त हंगामा होता दिखाई दिया। विपक्षी दलों ने उनके इस नारे पर प्रतिक्रिया दी तो यह नारा सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनल और अखबारों में और भी ज्यादा लोकप्रिय हो गया। महाराष्ट्र और झारखंड में योगी आदित्यनाथ की काफी डिमांड रही और वहां भी बटेंगे और कटेंगे के पोस्टर लगे हुए दिखाई दिए। बता दें, अगस्त में जब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना मुल्क छोड़ना पड़ा था और बांग्लादेश के हिंदू समुदाय पर हमले की खबरें सामने आई थी तब योगी आदित्यनाथ ने बटेंगे तो कटेंगे के इस नारे को गढ़ा था।
उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में भी योगी आदित्यनाथ ने हर विधानसभा सीट पर काम से कम दो-दो बार चुनाव प्रचार किया। निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ का अपनी एक अलग पहचान दिखाई दी। ऐसे में यूपी उपचुनाव में सीएम योगी की सियासी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इतना ही नहीं बल्कि यह भी कहा जा रहा है कि यह उपचुनाव सीएम योगी के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी उपचुनाव की सभी 9 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों के लिए धुआंधार प्रचार करके यह साबित किया कि आज भी न सिर्फ उत्तर प्रदेश में बल्कि इस प्रदेश के बाहर भी वह यूपी बीजेपी के अकेले ऐसे नेता हैं, जिनकी जबरदस्त डिमांड हैं और उनकी रैलियां में काफी भीड़ होती है, जो योगी आदित्यनाथ को सुनने के लिए उमड़ती है।
RSS और मोदी ने किया समर्थन
योगी आदित्यनाथ के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के नारे का बीजेपी के मातृ संगठन माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और प्रधानमंत्री ने भी समर्थन किया है। इससे यह माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद शायद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व के पिच पर खुलकर खेलने के लिए हरी झंडी मिली है।
2024 में यूपी में हुआ बीजेपी को बड़ा नुकसान
| राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
| बीजेपी | 33 | 62 |
| सपा | 37 | 5 |
| कांग्रेस | 6 | 1 |
| बीएसपी | 0 | 10 |
| रालोद | 2 | – |
| अपना दल (एस) | 1 | 2 |
| आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) | 1 | – |
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी अपने दम पर बहुमत भी हासिल नहीं कर सकी थी, जबकि उसने 370 सीटें जीतने का टारगेट रखा था। उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी लोकसभा की सभी सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही थी लेकिन उसे जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा था। भाजपा के केवल 33 सीटें हासिल हुईं। जबकि सपा के खाते में 37 सीटें गईं। वहीं कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं।
2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस वक्त बीजेपी ने यूपी में 62 सीटों पर कब्जा जमाया था। जबकि सपा को केवल 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। जबकि कांग्रेस को 1 और बसपा को दो सीटें मिलीं थीं।
ऐसे में चर्चा है कि उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर हुए उपचुनाव सीएम योगी के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। हालांकि, यह को कल ही पता चलेगा कि यूपी उपचुनाव में सीएम योगी का हिंदुत्व जादू और कटेंगे तो बटेंगे का नारा कितना कारगर साबित हुआ।
