हाल ही में उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक कार के आधे-अधूरे पुल से नीचे गिरने से तीन लोगों की मौत हो गयी थी। उनके परिवार का कहना है कि मृतक एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए बरेली जा रहे थे और जब यह हादसा हुआ, तब वे गूगल मैप्स का इस्तेमाल कर रहे थे। मौतों पर बढ़ते आक्रोश के बीच, राज्य के लोक निर्माण विभाग ने अपनी प्रारंभिक जांच में पांच इंजीनियरों की ओर से लापरवाही पाए जाने का दावा किया है।
मृतकों की पहचान अमित कुमार (34), विवेक कुमार (32) और उनके चचेरे भाई नितिन कौशल (33) के रूप में हुई है। यह आधा-अधूरा पुल रामगंगा नदी पर बना है जो बदायूं के दातागंज को बरेली के फरीदपुर से जोड़ता है। नदी का मार्ग बदलना, परियोजना को बीच में ही छोड़ देना, लापरवाही और सरकारी उदासीनता, ऐसे कई कारक हैं जिन्होंने तीन लोगों की मौत में भूमिका निभाई।
जिला प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी की बदायूं इकाई के चार इंजीनियरों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की है । हालांकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। आरोपियों में जूनियर इंजीनियर मोहम्मद आरिफ और अभिषेक कुमार के साथ-साथ एडिशनल इंजीनियर अजय गंगवार और महाराज सिंह भी शामिल हैं।
Bareilly: यात्रियों को सचेत करने के लिए पुल पर साइनबोर्ड नहीं लगाए गए
पीडब्ल्यूडी की प्रारंभिक जांच में कार्यकारी इंजीनियर नरेश कुमार को भी जिम्मेदार ठहराया गया है, हालांकि उनका नाम एफआईआर में नहीं है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि अधूरे पुल के बारे में यात्रियों को सचेत करने के लिए सही बैरिकेड या साइनबोर्ड नहीं लगाए गए थे। इसके अलावा एक दीवार जो रास्ता ब्लॉक करने के लिए बनाई गई थी उसे बाद में उपद्रवियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था और उसे दोबारा बनाया भी नहीं किया गया। जिसके चलते गाड़ियां उस अधूरे पुल तक पहुंच पायीं।
ये भी पढ़ें- Accident in Kannauj: आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बड़ा हादसा, सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के 5 डॉक्टरों की मौत
पीडब्ल्यूडी के मुख्य इंजीनियर अजय कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया , “यूनिट के प्रमुख नरेश कुमार भी पहचाने गए पांच इंजीनियरों में शामिल हैं। लखनऊ मुख्यालय को भेजी गई निरीक्षण रिपोर्ट में मैंने उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है।”
Bareilly Bridge Death: पुल का निर्माण 2018-19 में शुरू हुआ था
पुल का निर्माण 2018-19 में शुरू हुआ था। शुरुआत में यूपी स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन और पीडब्ल्यूडी ने मिलकर इस परियोजना को शुरू किया था, जिसमें एप्रोच रोड बनाने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की थी। 2021 में अपना हिस्सा पूरा करने के बाद ब्रिज कॉर्पोरेशन ने काम पूरा करने के लिए पुल को पीडब्ल्यूडी को सौंप दिया था।
अधिकारियों का दावा है कि जब रामगंगा नदी ने अपना मार्ग बदला था तब फरीदपुर की तरफ़ से संपर्क मार्ग का निर्माण चल रहा था। पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने बताया कि करीब 14 महीने पहले फरीदपुर की तरफ़ से निर्माणाधीन हिस्सा बाढ़ में बह गया था, जिससे पुल अधूरा रह गया।
मुख्य इंजीनियर अजय कुमार ने कहा कि अब बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि नदी का मार्ग बदल गया है इसलिए उन्होंने अनुरोध किया है कि पुल की मॉडल स्टडी की जाए। अध्ययन से यह निर्धारित होगा कि पुल का विस्तार किस क्षेत्र, दिशा और सीमा तक किया जाना चाहिए और किन सावधानियों की आवश्यकता है ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो। बरेली में दर्दनाक सड़क हादसा, दो सगे भाई सहित 3 की मौत, गूगल मैप ने दिखाया था अधूरे पुल वाला रास्ता, पढ़ें पूरी खबर