उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बाजी मारने के लिए पार्टियां जनता को हर हाल में अपनी ओर करने की कोशिशों में जुटी हुई है। यही कारण है कि प्रदेश में अब जातिगत समीकरण साधने के लिए सम्मेलन किए जा रहे हैं। सपा-बसपा के बाद अब बीजेपी भी जातिगत सम्मेलन करने जा रही है।

बीजेपी अब प्रदेश में जातिगत सम्मेलनों के जरिए जनसमर्थन जुटाने की कोशिशें करती दिख रही है। इसी के तहत रविवार को सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन के पहले कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में सीएम योगी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत कई नेताओं ने प्रजापति समाज के प्रतिनिधियों को संबोधित किया।

बीजेपी के नेताओं ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि भाजपा की योजना 31 अक्टूबर तक राज्य भर में ऐसे 27 सम्मेलन आयोजित करने की है। इन सम्मेलनों की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब समाजवादी पार्टी जनसमर्थन के लिए यात्राएं निकाल रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव यादवों संग मुलाकात कर चुके है। उधर बसपा भी ब्राह्मण सम्मेलन कर चुकी है।

रविवार को भाजपा के कार्यक्रम में आदित्यनाथ ने कुम्हारों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अपनी सरकार के प्रयासों के बारे में बताया। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अयोध्या में दिवाली के लिए 9 लाख दीयों का उपयोग किया जाएगा और उनकी सरकार उन्हें क्षेत्र के कुम्हारों से ही खरीदेगी।

सीएम ने आगे कहा कि कुम्हारों की मदद के लिए माटी कला बोर्ड की स्थापना की गई है। आदित्यनाथ ने कहा: “पहले, चीन में मूर्तियां बनाई जा रही थी। चीन एक नास्तिक देश है, लेकिन उसने लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को ऊंचे दामों पर बेचने के लिए बनाना शुरू कर दिया। हमारे प्रजापति समाज के लोग बिना काम के बैठे रहते थे। अब, हमें चीन से मूर्तियां नहीं मिल रही हैं, हम उन्हें अपने दम पर बना रहे हैं।”

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, कार्यक्रम प्रभारी और भाजपा के राज्य महासचिव, प्रियंका सिंह रावत ने कहा कि ये सम्मेलन विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों तक पहुंचने के लिए आयोजित किए जाएंगे। यह जाति केंद्रित कार्यक्रम नहीं हैं। हालांकि भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया ने कहा कि इस तरह के सम्मेलन 19 अक्टूबर से सात अनुसूचित जाति समूहों के लिए आयोजित किए जाएंगे।

भाजपा पिछड़े वोटों को अपनी ओर करने की इस बार कोशिशों में लगी है। यूपी में पिछडे़ वोटों का महत्व बहुत है और कई क्षेत्रिय पार्टियों का आधार भी। कुछ दिन पहले हुए योगी सरकार के मंत्रीमंडल विस्तार में भी जातीय समीकरण का खास ख्याल रखा गया था।