ओडिशा के मलकानगिरी जिले के एक गांव में अज्ञात कारणों से बच्चों की मौत होने से लोग परेशान हैं। दो हफ्ते में अब तक छह बच्चों की मौत हो चुकी है। मौत की वजह को लेकर डॉक्टर कुछ बता नहीं पा रहे हैं। जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने भी इसको लेकर चिंता जताई है। मरने वाले सभी बच्चों की उम्र छह महीने से चार वर्ष के बीच की है। कई बच्चे अब भी बीमार हैं और उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
गांवों में लगाया गया हेल्थ कैंप : मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) अजय कुमार बैठा ने बताया कि मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। उन्होंने बताया कि सात बच्चों का कालीमेला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज चल रहा है। उनके रक्त के नमूने को जांच के लिए भुवनेश्वर भेजा गया है। बैठा ने कहा कि सभी ने बुखार, ठंड, कफ, चक्कर आना और उल्टी की शिकायत की थी। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के एक दल को गांव में भेजा गया है और वहां स्वास्थ्य शिविर लगाया गया है। उन्होंने आशंका जताई कि ग्रामीणों की लापरवाही के कारण बच्चों की मौतें हो रही हैं। वे उन्हें अस्पताल में ले जाने की बजाए नीम हकीमों के पास ले जा रहे हैं।
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नीम-हकीमों से बचने की सलाह : मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) अजय कुमार बैठा ने लोगों से अपील की कि वह बीमार बच्चों को नीम-हकीमों के पास ले जाने की बजाए डॉक्टरों को दिखाएं। नीम हकीमों के पास जाने से ही बच्चों की जान जा रही हैं। उन्होंने कहा कि गांवों में कैंप लगाकर ग्रामीणों से अपने बच्चों की जांच करवाने के लिए कहा जाएगा। उन्होंने खान-पान में ऐहतियात बरतने की भी अपील की। कहा कि प्रदूषित पानी से भी लोग बीमार हो रहे हैं।
रायबरेली में भी बच्चे हो चुके हैं बीमार : गौरतलब है कि यूपी के रायबरेली जिले के जगतपुर कोतवाली क्षेत्र में हाल ही में गुड़ मिलाकर मट्ठा पीने से 11 बच्चे बीमार हो गए थे। डाक्टरों का कहना है कि ये सभी दूषित मट्ठा पीने से बीमार हुए हैं। विशेषज्ञों की सलाह है कि बासी खाना और दूषित पानी से लोगों को बचना चाहिए। इनकी वजह से जान जाने का भी खतरा रहता है।