महाराष्ट्र में शिवसेना में चल रही आंतरिक रार और महा विकास अघाड़ी सरकार के गिरने के बाद से पार्टी पर पकड़ को लेकर रस्साकसी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गुट खुद को असली शिवसेना बताते हुए पार्टी संसद से लेकर विधानसभा तक खुद को मजबूत करने में जुटी है। वहीं उद्धव ठाकरे अपने साथ के निष्ठावान सहयोगियों के एक के बाद एक निकलते जाने से चिंतित हैं। इसको लेकर उन्होंने अपने जिला प्रमुखों से शपथ पत्र मांगा है।

उद्धव ठाकरे ने पार्टी के सभी जिला प्रमुखों को निर्देश दिया है कि वह शिवसेना के संविधान, उसके संस्थापक बाल ठाकरे और उसके वर्तमान अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के प्रति वफादारी के लिए 50 लाख सदस्यों से शपथ पत्र जमा कराएं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि पार्टी को अपने चुनाव निशान तीर कमान पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए इस तरह की कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

उप शाखा प्रमुख सबसे पहले दिखाएं निष्ठा

पदाधिकारियों को अगले कुछ दिनों में वफादारी का शपथ पत्र देने को कहा गया है। यह भी कहा गया है कि ठाकरे के प्रति अपनी निष्ठा दिखाने वाले पहले व्यक्ति उप शाखा प्रमुखों को होना चाहिए। शिवसेना नेताओं ने कहा कि ठाकरे को “बिना शर्त समर्थन” देने की प्रतिज्ञा का उद्देश्य शिंदे खेमे को पार्टी संगठन पर दावा करने से रोकना है और उनके इस दावे को मजबूत करने के लिए एक पूर्व उपाय के रूप में है कि उन्हें राज्य विधान मंडल।के बाहर रैंक और फ़ाइल का समर्थन प्राप्त है।

इस बीच उद्धव ठाकरे के लिए सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा मुंबई का बीएमसी चुनाव है। यह उनके लिए एक कड़ा इम्तहान साबित होगा। बीएमसी में जीत दर्ज करने के लिए उद्धव किस कदर हाथ पैर मार रहे हैं इसका अंदाजा तब लगा जब उन्होंने मंगलवार को कुछ उत्तर भारतीय लोगों से मुलाकात की।

मातोश्री का कहना था कि बेशक हमारे विधायक और सांसद धोखा दे गए। लेकिन पब्लिक उन्हें फिर से पुराना प्यार देगी। वो बीएमसी में जीत हासिल करेंगे। हालांकि ये उतना आसान नहीं है। बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का सीएम बीएमसी को ध्यान में रखकर बनाया है। शिवसेना की पकड़ बीएमसी पर मजबूत है। लेकिन फिलहाल उसे अपनों के धोखे से जूझना पड़ रहा है। कौन साथ है और कौन खिलाफ नहीं पता। बीजेपी उद्धव को खत्म करने पर आमादा है।