Kanpur Journalist Avaneesh Dixit: कानपुर में जमीन हड़पने के मामले में एक पत्रकार के खिलाफ दो और एफआईआर दर्ज की गई हैं। पुलिस ने पत्रकार के खिलाफ यह दो एफआईआर उसकी गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद दर्ज की हैं। पत्रकार अवनीश दीक्षित पर करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन हड़पने की कोशिश को लेकर केस दर्ज किया गया है। दीक्षित कानपुर में एक स्थानीय समाचार चैनल में कार्यरत हैं।
इससे पहले, 29 जुलाई को गिरफ्तारी से एक दिन पहले शहर के सिविल लाइंस इलाके में सरकारी जमीन हड़पने का प्रयास करने के आरोप में 45 वर्षीय अवनीश दीक्षित और अन्य के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे।
दीक्षित के खिलाफ ताजा एफआईआर में से एक जुलाई 2020 में जिले के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपियों के खिलाफ मामला चलाने वाले एक वकील और आरटीआई कार्यकर्ता को कथित रूप से धमकाने और पैसे वसूलने का प्रयास करने के लिए दर्ज की गई थी। दूसरा मामला जमीन हड़पने और दलित व्यक्ति से जबरन पैसे ऐंठने के आरोप से जुड़ा है। ये मामले नजीराबाद और चकेरी पुलिस थानों में दर्ज किए गए हैं।
नजीराबाद पुलिस स्टेशन में आरटीआई कार्यकर्ता और वकील सौरभ भदौरिया द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, जिसमें कहा गया था कि वह बिकरू मामले की जांच कर रहे थे और मामले की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने उन्हें गवाह बनाया था।
गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने के लिए बिकरू में गई पुलिस टीम पर गोलीबारी में एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे ।
भदौरिया ने दावा किया कि जब से वह बिकरू मामले की जांच कर रहे थे, तब से विकास दुबे के साथी जयकांत बाजपेयी और उसके भाइयों के बीच रंजिश चल रही थी। जयकांत के तीन भाई – राजयकांत बाजपेयी, शोभित बाजपेयी और अजय कांत बाजपेयी इस मामले में जेल गए लोगों में से थे।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जमानत मिलने के बाद जयकांत के भाइयों ने अवनीश दीक्षित समेत अन्य लोगों के साथ मिलकर उसे परेशान करना शुरू कर दिया और केस को आगे न बढ़ाने के लिए दबाव डाला।
जयकांत अभी भी जेल में बंद है।
वकील ने आरोप लगाया कि पिछले साल 3 अगस्त को जब वह एक चौराहे से गुजर रहे थे तो आरोपियों ने उन्हें रोककर धमकाया भी था। भदौरिया ने आगे दावा किया कि अवनीश और उसके साथी विपिन गुप्ता ने उसे 20 लाख रुपये का इंतजाम न करने पर जान से मारने की धमकी दी और उस समय उसके पास मौजूद 35,000 रुपये भी ले लिए। उन्होंने कहा कि आरोपियों ने उसे केस आगे बढ़ाने से रोकने के लिए उसके बारे में झूठी कहानियां भी फैलाईं।
भदौरिया की शिकायत पर अवनीश और 17 अन्य लोगों के खिलाफ नामजद तथा छह अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगा, गलत तरीके से रोकने और जबरन वसूली आदि के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
दूसरा मामला दलित व्यक्ति राजेश कुमार ने अवनीश और पांच अन्य के खिलाफ नामजद तथा 12 अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कराया था। इन लोगों पर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर शिकायतकर्ता की जमीन हड़पने का कथित प्रयास करने तथा धमकी देकर उससे 10 लाख रुपये वसूलने का आरोप है।
राजेश ने आरोप लगाया कि इस साल 25 जून को आरोपियों ने सुजानपुर स्थित उनके घर में जबरन घुसकर जमीन पर अपना मालिकाना हक जता दिया। उन्होंने मांग की कि वह जमीन खाली कर दें या फिर अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें। यह मामला दंगा, जबरन वसूली, आपराधिक धमकी, जालसाजी आदि के आरोपों पर दर्ज किया गया था।
अवनीश दीक्षित के वकील शिवा कांत दीक्षित ने कहा कि उन्होंने इस मामले में जमानत याचिका दायर की है और अभी अदालत द्वारा याचिका पर विचार किया जाना बाकी है।
अवनीश की पत्नी प्रतिमा दीक्षित ने कहा, “पुलिस के पास मेरे पति के खिलाफ़ मामला साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। ऐसा लगता है कि निजी दुश्मनी के चलते आरोप लगाए गए हैं।” प्रतिमा दीक्षित ने कहा , “मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है और मुझे न्याय मिलने की उम्मीद है। हम पिछले पांच दिनों से उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध करती हूं कि वे निष्पक्ष जांच करवाएं, क्योंकि पुलिस एक के बाद एक मामले दर्ज कर रही है।”