Tripura Elections: त्रिपुरा में 16 फरवरी को विधानसभा का चुनाव होना है। इसको लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां वोटरों को लुभान के लिए जनता से तमाम वादे और दावे कर रही हैं। इसी बीच माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि त्रिपुरा में त्रिकोणीय मुकाबले से वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन को फायदा मिलेगा।
येचुरी ने कहा कि स्थानीय स्तर के नेता यह देखने के लिए आकलन करेंगे कि बीजेपी को हराने के लिए सबसे बेहतर कौन है। उन्होंने कहा कि बीजेपी (और उसकी सहयोगी आईपीएफटी) ने पिछले चुनाव में आदिवासी इलाकों की 20 सीटों में से 18 सीटें जीती थीं। येचुरी ने एक संवाददाता सम्मेलन में पूर्व में दिए गए अपने बयान पर कहा कि जमीनी स्तर पर कौन भाजपा को हराने में सक्षम होगा, इसका आकलन जमीनी स्तर के नेताओं द्वारा किया जाएगा।
येचुरी ने कहा कि भाजपा ने राज्य में दमन चक्र चला रखा है। हमारी पार्टी ने भाजपा सरकार द्वारा लोगों पर किए जा रहे दमन का जमकर विरोध किया है। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों ने भाजपा सरकार को हटाने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करने की आवश्यकता को महसूस किया है।
बता दें, 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में 20 सीटें आदिवासी क्षेत्रों के लिए आरक्षित हैं। भाजपा ने 2018 में सरकार बनाने के लिए कुल 36 सीटें जीती थीं, जिनमें से आधी आदिवासी क्षेत्र से थीं।
पिछली बार जो फायदा भाजपा को हुआ, अब दोबारा नहीं होगा: येचुरी
माकपा महासचिव ने कहा कि इस बार आदिवासी क्षेत्रों में टिपरा मोठा सबसे आगे है। आईपीएफटी अब महज ढोल बनकर रह गई है और बीजेपी ने उसे सिर्फ 5 सीटें दी हैं। पिछली बार जो फायदा बीजेपी को मिला था, वह दोबारा नहीं होगा। इससे वाम-कांग्रेस गठबंधन को मदद मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले चुनावों में माकपा के 42.22 प्रतिशत और कांग्रेस के कुछ प्रतिशत अंकों की तुलना में भाजपा के पास 43.59 प्रतिशत वोट शेयर था।
कांग्रेस के वोटों में सेंधमारी करके 2018 में सत्ता में आई थी भाजपा
राज्य में भाजपा 2018 में सत्ता में आई थी। जिसने कांग्रेस के अधिकांश वोटों में सेंध लगाई थी, जो कि 2013 में लगभग 37 प्रतिशत था। 2018 तक राज्य में चुनावी मुकाबला काफी हद तक कांग्रेस और सीपीआई (एम) के बीच था, जिसमें छोटे आदिवासी दलों ने कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
