बाढ़-सुखाड़ जैसी प्राकृतिक आपदा को झेलता, उद्योग और रोजगार से कोसों दूर, रेल और उच्च शिक्षा से वंचित , पानी की किल्लत जैसी अनेक समस्याओं से जूझ रहे सुपौल के मतदाताओं से चुनाव की बात करना बेईमानी है। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी की दुहाई देकर इसके फायदे गिना वोट लेने की कोशिश में हंै तो कांग्रेस उम्मीदवार रंजिता रंजन शराबबंदी को राज्य सरकार का शुद्ध नुकसान बताती हैं। वे अपनी सभाओं में कहती हैं कि शराबबंदी दिखावा है। शराब सब जगह मिल रही है। जिसका पैसा सत्ताधारियों और उनके अफसरों के जेब में जा रहा है।

शनिवार 20 अप्रैल को रंजिता रंजन का प्रचार करने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आए थे। उन्होंने स्थानीय समस्याओं का भी जिक्र किया था। उन्होंने यहां की जनता को कोशी इलाके में 2008 में आई भीषण बाढ़ की याद दिलाई और बताया कि यूपीए सरकार ने इलाके की सहायता के लिए एक सौ करोड़ रुपए दिए थे। मगर 2017 में प्राकृतिक प्रकोप से घिरे यहां के इलाकों में मदद के लिए एनडीए सरकार ने पांच रुपए भी नहीं दिए।

असल में यहां कांग्रेस उम्मीदवार कई मुश्किलों से घिरी हैं। राहुल गांधी की सभा में महागठबंधन के दूसरे दलों के नेताओं की मौजूदगी तो थी। मगर राजद के तेजस्वी यादव नदारद थे। उनका बगल की सीट मधेपुरा से निर्दलीय लड़ रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से छत्तीस का आंकड़ा है। रंजिता रंजन उनकी पत्नी हैं। पप्पू यादव मधेपुरा में राजद उम्मीदवार शरद यादव की जीत का रोड़ा बन सकते हैं। इसी वजह से राजद नेताओं ने सुपौल सीट पर उनकी पत्नी रंजिता रंजन से दूरी बना ली है। बल्कि उन्हें हराने के लिए पिपरा विधानसभा के राजद विधायक यदुवंश यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश यादव को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। वे कहते हैं कि इन्हें कांग्रेस से परहेज नहीं है, मगर रंजिता से है।

इस कश्मकश में पप्पू यादव के साथ पत्नी भी घिरी हैं। फिलहाल ये दोनों ही निवर्तमान सांसद हैं। मगर दोनों के लिए हालात बदल गए हैं। हालांकि राजेश रंजन अपना मधेपुरा में और पत्नी का सुपौल में प्रचार कर रहे हैं।
रंजिता रंजन के मुकाबले में राजग के जद (एकी) उम्मीदवार के तौर पर दिलकेश्वर कामत हैं। ये दोबारा आमने सामने हैं। सिर्फ समीकरण बदले हैं। 2014 में रंजिता रंजन बतौर कांग्रेस उम्मीदवार 329227 मत लाकर करीब 60 हजार मतों से जीती थीं। दूसरे स्थान पर 273255 मत लाकर दिलकेश्वर कामत रहे थे। यहां से भाजपा भी खड़ी थी। इनके उम्मीदवार कामेश्वर चौपाल 249693 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। इस दफा जदयू-भाजपा साथ हैं। तो कांग्रेस उम्मीदवार को राजद का भितरघात का खतरा सामने है। 2009 में रंजिता रंजन जद (एकी) के विश्वमोहन कुमार से एक लाख 66 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त खा गई थीं। इस तरह ये तीसरी दफा यहां से चुनाव लड़ रही हैं। ये ज्यादातर महिला मतदाताओं के बीच अपना प्रचार करने घर-घर पहुंच रही हैं। यहां महिला मतदाताओं की तादाद आठ लाख से ज्यादा है। यहां 1685165 मतदाता तीसरे चरण 23 अप्रैल को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

कुल बीस उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। मगर मुकाबला जदयू और कांग्रेस में सीधा है। सुपौल संसदीय सीट छह विधानसभा इलाके वाली है। जिनमें निमर्ली, सुपौल, त्रिवेणीगंज, व सिंघेश्वर जदयू के कब्जे में है। छातापुर से भाजपा और पिपरा से राजद के विधायक है। सुपौल हुसैन चौक के शाहबाज हुसैन कहते है जातपात से यह क्षेत्र भी अछूता नहीं है। यादव, मुस्लिम, और पिछड़ा व अतिपिछड़ा बाहुल्य इलाका विकास की बाट जोह रहा है। मगर नेताओं की टोली वोटों के गुणा-भाग में मगन है।