केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में भी चुनावी बिगुल फूंक दिया और जन संवाद वर्चुअल रैली के जरिए प्रदेश की ममता सरकार पर खूब निशाना साधा। हालांकि शाह को उनके ही नाम वाले टीएमसी नेता ने चुनौती दी है। चुनावी रणनीतिकार प्रंशात किशोर की मदद से तैयार आंकड़ों के जरिए राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने भाजपा को झूठा और नकलची करार दिया। कोरोना महामारी के दौरान और चक्रवात अम्फान के मद्देनजर चुनावी राजनीति को प्राथमिकता देने के लिए शाह को निशाने पर लेते हुए मित्रा ने कहा कि मैं शाह को चुनौती देता हूं… वो जवाब दें। नकदी कहां हैं? बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री की वर्चुअल रैली शुरू होने से थोड़ी देर पहले तृणमूल ने अपना ‘वर्चुअल हमला शुरू कर दिया था।
ममता बनर्जी की पार्टी ने इसके लिए सोशल मीडिया में #BengalRejectsAmitShah (बंगाल शाह को अस्वीकार करता है) और #BanglaChaaynaAmitShah (बंगाल शाह को नहीं चाहता) शाह के कार्यक्रम के दौरान हजारों ट्वीट के जरिए इन्हें ट्रेंड कराया। मगर बंगाल के एक मंत्री के मुताबिक राज्य के वित्त मंत्री को मैदान में उतारकर शाह को ‘झूठा’ बताना मास्टरस्ट्रोक था। मंत्री ने कहा कि शाह ने दीदी (ममता बनर्जी) को चुनौती दी की वो उनसे मुकाबला करने के लिए आंकड़ों के साथ आए। मगर हमारे अमित के आंकड़ों ने अमित शाह के जुमलों को बुरी तरह उजागर कर दिया।
शाह के आरोपों द्वारा मित्रा द्वारा किए गए खंडन के कुछ अंश:
भाजपा को नकलची प्रवृति का बताया-
30 दिसबंर, 2016 को प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘स्वास्थ्य साथी’ नाम से एक योजना शुरू की जिसमें 1.5 करोड़ परिवारों अर्थात 7.5 करोड़ लोगों को कवर किया किया। योजना करोड़ों लोगों की चिकित्सा जरुरतों और उपचार का ध्यान में रखते हुए शुरू की गई। योजना में 5 लाख रुपए तक के स्वास्थ्य लाभ के साथ 1,518 हॉस्पिटलों को शामिल किया गया।
इसके लगभग दो साल बाद अचानक आयुष्मान भारत योजना के बारे में सुना। ये नकल करने की एक घटिया कोशिश थी। हमारी उपलब्धियां रिकॉर्ड में हैं। नकल के स्वामी। आपके अपनी कोई विचार नहीं हैं?
झूठे प्रवचन देने वाला बताया-
अमित शाह ने कहा कि पीडीएस के जरिए 7.66 करोड़ लोगों की मदद की जा रही है। सच क्या है? ये 6.01 करोड़ हैं। संख्या क्यों बढ़ाई गई? झूठ-झूठ। हमारी सरकार बंगाल में तीन महीने के लिए 4.09 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दे रही है और छह महीने तक ऐसा करेगी। आप भूल गए? आपको लगता है… लोग भूल जाएंगे?
जब साल 2011 में टीएमसी सत्ता में आई तब बिजली के 75 लाख उपभोक्ता थे। अब ये संख्या 2 करोड़ पहुंच चुकी है और इसमें बिजली का इस्तेमाल कर रहे घरों की संख्या 1.95 करोड़ है। इसके अलावा बंगाल शायद एकमात्र राज्य हैं जिसके पास अतिरिक्त बिजली है और कोई बिजली कटौती नहीं होती है। साल 2011 से इस सेक्टर में केंद्र की तरफ से 5,800 करोड़ रुपए की राशि मिली जबकि राज्य सरकार ने इस दौरान 27,500 करोड़ का निवेश किया।
क्या अमित शाह इसे बताने चूक गए?
राज्य का केंद्र सरकार पर 53,000 करोड़ रुपए बकाया है, जिसे मोदी सरकार ने चुकाया नहीं है। इनमें 36,000 करोड़ रुपए सीधें केंद्र समर्थित योजनाओं और केंद्रीय योजनाओं के लिए है। इसके अलावा, जीएसटी बकाया, खाद्य सब्सिडी बकाया 11,000 करोड़ रुपए हैं। केंद्र ने अम्फान तूफान के लिए अभी तक एक हजार करोड़ रुपए दिए हैं। जब आप बंगाल को संबोधित कर रहे हैं तो कम से कम 53,000 करोड़ रुपए में से 15,000 करोड़ रुपए की एक किश्त जारी करें।
अर्थव्यवस्था की स्थिति:
साल 2018 में नोटबंदी और बिना तैयारी के जीएसटी लागू करने की वजह से 2 करोड़ नौकरियां चली गईं। ये आंकड़ा सीएमआईई के मुताबिक है। अब लगातार सात तिमाहियों में जीडीपी की वृद्धि में गिरावट आई है। ये कोविड से पहले के आंकड़े हैं। साल 2018 में बेरोजगारी दर 45 सालों के रिकॉर्ड निचले स्तर पर थी।