MP Crime News: अपराध कई तरह के होते हैं और कई तरह से किए जाते हैं। जुर्म को कैसे अंजाम दिया जाए, आरोपी इस बात पर सबसे ज्यादा अपना समय गंवाता है, लेकिन वो ये भूल जाता है कि कानून की नजर में और पुलिस की पकड़ से कोई ज्यादा दिनों तक नहीं बच सकता है। लेकिन अगर अपराध करने वाला ही एक पुलिस अधिकारी निकले, तब केस पेचीदा ज्यादा बन जाता है। मध्य प्रदेश के पुलिस इंस्पेक्टर ASI भानू तोमर ने भी कुछ ऐसा ही किया है। हत्या अपने भाई की करवाई है, लेकिन मदद उन अपराधियों की ली जिन्हें शायद पकड़ने के लिए सरकार ने उन्हें वो वर्दी दी थी।
मामला दो भाइयों की लड़ाई से जुड़ा हुआ है। असल में 2017 में पुलिस इंस्पेक्टर हनुमान तोमर की हत्या हुई थी, हैरानी की बात रही कि उन्हीं के बेटे अजय ने उस हत्या को अंजाम दिया। असल में इन लोगों का पारिवारिक विवाद चल रहा था। उस विवाद की वजह से हनुमान तोमर ने तो अपनी जान गंवाई, लेकिन हमला तो भाई भानू तोमर पर भी हुआ। अब उस हमले में वे बच गए, लेकिन पिता की हत्या का आक्रोश उनके दिल में घर कर चुका था। पिता क्योंकि खुद पुलिस वाले थे, ऐसे में भानू को भी एसआई के पद पर नियुक्ति मिली, वहीं आरोपी अजय को जेल की सजा।
अब अजय जेल जा चुका था, उसकी शादी भी टूट गई थी, वहीं दूसरी तरफ भानू ने अपना पुश्तैनी घर बेच दिया था। अब उस घर बेचने को लेकर भी विवाद छिड़ गया था। असल में जेल काट रहे अजय को कुछ दिनों की परोल मिली थी, तब उसे पता चला कि भानू ने घर बेच दिया। अब उसी घर के पैसों को लेकर दोनों भाइयों में खटपट शुरू हो गई। बताया जा रहा है कि अजय ग्वालियर के सेंट्रल जेल में बंद था, इस साल 14 जुलाई को उसको परोल मिली थी। जेल से बाहर निकलते ही उसने शिवपुरी से ग्वालियर तक का सफर तय किया। लेकिन बीच रास्ते में ही कुछ अज्ञात हमलावरों ने अजय को मौत के घाट उतार दिया। अब किसने मारा, किसी को नहीं पता था, तब तक तो भानू तोमर का नाम भी नहीं आया था।
भानू ने तो चालाकी दिखाते हुए भाई अजय के अंतिम संस्कार में भी हिस्सा लिया था, सभी को लगा कि शायद दोनों भाइयों के बीच में जारी दुश्मनी खत्म हो गई। लेकिन पुलिस ने जब अजय की हत्या की जांच शुरू की, 500 सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, शिवपुरी से लेकर ग्वालियर तक जितने भी कैमरे रहे, सभी की फुटेज चेक की गई। अब उन फुटेज से तीन लोगों के बारे में पता चला- एक रही संदिग्ध महिला, एक रहा धर्मेंद्र कुशवाहा और तीसरा रहा मोनेश तोमर। अब पुलिस ने इस धर्मेंद्र की कुंडली निकाली तो पता चला कि वो तो सात जघन्य अपराध में शामिल रह चुका था, बात चाहे हत्या की हो या फिर हत्या के प्रयास की। 2011 में इसी धर्मेंद्र ने पिनकड़ दादा नाम के शख्स को मौत के घाट उतार दिया था।
उस मामले में भी धर्मेंद्र को जेल हुई थी, लेकिन वो इस साल 26 जनवरी को बाहर निकल गया था। बताया जा रहा है कि जिस समय धर्मेंद्र जेल में था, उसकी मुलाकात वहां अजय से भी हुई थी। अब भानू तोमर ने इस धर्मेंद्र को अपने साथ शामिल किया था। उनकी नजर एक नाबालिग लड़की पर भी पड़ी थी जो इंदौर में कस्टडी से भाग गई थी। वो इस साल 12 जुलाई को ही भागी थी और सीसीटीवी में दिखाई भी दे गई। जो सीसीटीवी सामने आया था, उसमें वो नाबालिग लड़की एक गाड़ी से बाहर निकल रही थी। बाद में पता चला कि वो गाड़ी भानू तोमर की थी। यह इस मामले का एक टर्निंग प्वाइंट रहा और पुलिस का शक ASI भानू तोमर पर चला गया। फिर जब सीसीटीवी फुटेज को ही और खंगाला गया तो पता चला कि भानू की गाड़ी तो अजय की गाड़ी को फॉलो कर रही थी।
शिवपुरी के सुपरीटेंडेंट ऑफ पुलिस अमन सिंह राठौर ने इस केस में कहा कि शुरुआती जांच में ही ड्राइवर भगत सिंह ने कहा था कि एक अनजान महिला ने ही वारदात वाले दिन गाड़ी बुक की थी। पुलिस अधिकारी के मुताबिक वो लड़की अजय को जानती थी, ऐसे में गाड़ी को तय रणनीति के तहत एक जगह रोका गया और वहां पर कुछ अज्ञात हमलावरों ने अजय को गोली मार दी।
जब इस मामले में धर्मेंद्र से सख्ती से पूछताछ हुई तो सारे राज खुल गए। खुद धर्मेंद्र ने बताया कि जब वो जेल से छूटा था, उसने इंस्टाग्राम पर एक ऐसे ही तस्वीर डाल दी थी। उस तस्वीर के बाद ही भानू तोमर ने उससे संपर्क किया, कुछ पैसे भी तब भानू ने ही उसके अकाउंटर में ट्रांसफर कर दिए। काम एक ही था- अजय को रास्ते से हटाना था। अब पूरी प्लानिंग की गई और वारदात वाले दिन जब उस लड़की ने अजय की गाड़ी को बीच रास्ते में रुकवाया, धर्मेंद्र और भानू ने हत्या को अंजाम दे दिया। अब इस समय भानू तोमर के सारे राज खुल चुके हैं, लेकिन वे फरार हैं, बैंकॉक में बताए जा रहे हैं, उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया जा चुका है।
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