जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शिक्षक भी मंगलवार को कन्हैया की गिरफ्तारी के विरोध में छात्रों की ओर से किए जा रहे कक्षाओं के बहिष्कार में शामिल हो गए। दरअसर मामले का राजनीतिक लाभ उठाने की जुगत को कैंपस ने भांप लिया है। लिहाजा छात्रों -शिक्षकों का जो वर्ग इस विवाद से अछूता या तटस्त था वो भी मुखर हो गया। सर्व सम्मति से फैसला लिया कि यदि आवाज उठाने के मुखालफत का समर्थन रहा तो अरावली की इन पहाड़ियों में दहशत के टीले नजर आने लगेंगे। विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस कार्रवाई को अनुमति देने के लिए शिक्षक संघ ने कुलपति को घेरे में ले लिया हैं। शिक्षक मंगलवार से कक्षाओं का बहिष्कार कर छात्रों के आंदोलन में शामिल हैं। इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन चौतरफा बंदोबस्त में लग गया।
मंगलवार को छात्र-शिक्षकों के एक मंच पर आ जाने से यह साफ हो गया कि विरोध व तर्कों के बीच यहां कई दिनों से पसरा सन्नाटा फिर से गायब होने वाला है क्योंकि शिक्षकों ने कहा कि वे विश्वविद्यालय परिसर में ही लेकिन कक्षाओं से बाहर राष्ट्रवाद पर कक्षाएं लेंगे। इस बीच भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को मांग की कि जेएनयू को मई में फाइनल परीक्षा के बाद चार महीने के लिए बंद कर दिया जाना चाहिए ताकि छात्रावासों को ऐसे छात्रों से मुक्त किया जा सके जिनकी भारतीय संविधान में निष्ठा नहीं है। सनद रहे कि जेएनयू के छात्र सोमवार से ही जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई और उसके खिलाफ देशद्रोह का मामला हटाने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
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स्वामी ने कहा कि यद्यपि जिनका जिहादी, नक्सली और लिट्टे आतंकवादी होने का प्रमाणित रेकार्ड है उन्हें विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। स्वामी ने यह भी कहा कि ऐसे छात्रों को निष्कासित कर दिया जाना चाहिए जो स्नातक पाठ्यक्रमों से स्नातक नहीं हुए या जिन्हें तीन सालों में स्नातकोत्तर की डिग्री नहीं मिली। उन्होंने कहा कि जेएनयू का शत-फीसद वित्तपोषण सरकार की ओर से किया जाता है और वह संसद और कैग के प्रति जवाबदेह है। लोकतंत्र में सभी अन्य स्वतंत्रताओं की तरह अकादमिक स्वतंत्रता उचित रोक के अधीन है और सरकार रोक लगाने की हकदार है।
इस बीच, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने कथित राष्ट्र-विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर मंगलवार को जेएनयू के बाहर प्रदर्शन का आयोजन किया। वे कथित राष्ट्र-विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए नारेबाजी कर रहे थे और उन्होंने जेएनयू के कुलपति का पुतला दहन किया। हालांकि, विश्वविद्यालय के बाहर तैनात सुरक्षा और पुलिस बलों ने प्रदर्शनकारियों को विश्वविद्यालय के भीतर मार्च निकालने की इजाजत नहीं दी। बजरंग दल के प्रदर्शनकारियों ने कुलपति से वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले छात्रों के आंदोलन को समर्थन दे रहे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की। कन्हैया को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया था। वे देशद्रोह और आपराधिक साजिश के तहत दर्ज मामले में पुलिस रिमांड पर हैं। कार्यक्रम में कथित रूप से भारत विरोधी नारेबाजी की गई।