जिस मुद्दे के सहारे ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी को सत्ता से बाहर करके मुख्यमंत्री की गद्दी हासिल की थी, अब उन्होंने उससे पल्ला झाड़ लिया है। अब उनका कहना है टाटा मोटर्स के नैनो प्लांट को प्रदेश से भगाने में उनका कोई हाथ नहीं था, उन्होंने तो सिर्फ किसानों की छीनी गई जमीनें उन्हें वापस दिलवाने के लिए आंदोलन किया था।
बुधवार को सिलीगुड़ी में एक विजया सम्मेलन समारोह में बोलते हुए, मुख्यमंत्री ने दावा किया कि यह सीपीएम की सरकार थी जिसने टाटा मोटर्स को सिंगूर से दूर कर दिया था। इस परियोजना के लिए करीब 1,000 एकड़ कृषि भूमि का अधिग्रहण किया गया था।
टाटा के बाहर चले जाने और ममता के सत्ता में आने के बाद अदालत के आदेश के बाद जमीन वापस ले ली गई। 11 सालों में टीएमसी सरकार जमीन उसके मालिकों को वापस करने में सफल रही है, लेकिन केवल आंशिक रूप से। बुधवार को ममता ने कहा, “ऐसे लोग हैं जो अफवाह फैला रहे हैं कि मैंने टाटा को पश्चिम बंगाल से भगा दिया। मैंने उन्हें जबरदस्ती नहीं भगाया, लेकिन माकपा ने ही उन्हें भगा दिया… आपने (माकपा ने) परियोजना के लिए लोगों से जबरन जमीन ली, हमने वह जमीन वापस कर दी।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने तब से “इतनी सारी परियोजनाएं” स्थापित की हैं, लेकिन कभी भी जबरन जमीन नहीं ली।
अडानी समूह की ताजपुर बंदरगाह परियोजना और देउचा पचामी कोयला खदान परियोजना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “हम उद्योगपतियों का स्वागत करते हैं। बंगाल में कोई भेदभाव नहीं है। हम चाहते हैं कि हर उद्योगपति यहां निवेश करें।”
ममता बनर्जी पर सबसे पहले हमला करने वालों में सिंगूर से टीएमसी के पूर्व विधायक रवींद्रनाथ भट्टाचार्य थे, जो आंदोलन का हिस्सा भी थे। 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने टीएमसी छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए। प्लांट को रोकने में टीएमसी की भूमिका पर जोर देते हुए भट्टाचार्य ने कहा, “हमने सिंगूर फैक्ट्री के गेट पर एक विरोध मंच स्थापित किया था, जिसके बाद टाटा को वहां फैक्ट्री बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा।”
2016 में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ममता ने सिंगूर दिवस को चिह्नित करने के एक कार्यक्रम से ठीक पहले ट्वीट कर कहा था, “आज उस ऐतिहासिक दिन की वर्षगांठ है जब हमारी बांग्ला सरकार ने सिंगूर में जबरन अधिग्रहित जमीन के परचे किसानों को सौंप दिए हैं। हम उद्योग को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों के कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। मां, मति, मानुष को मेरा विनम्र प्रणाम।
2016 में विधानसभा चुनाव से पहले, सीएम ममता ने एक साक्षात्कार में कहा था कि वह टाटा से सिंगूर में 600 एकड़ जमीन पर प्लांट लगाने के लिए बात करने को तैयार हैं। टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने माना कि ममता के बयान के पीछे बदली हुई परिस्थितियां हैं। उन्होंने कहा, “2011 में, हमारी पार्टी सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन द्वारा प्रदान किए गए समर्थन के साथ सत्ता में आई। उस समय हमारी मुख्य चुनौती खेत की जमीन को उसके मालिकों को लौटाना था। लेकिन अब हमारी मुख्य चुनौती रोजगार के अवसर पैदा करना और उद्योग हासिल करना है।” उन्होंने कहा कि सिंगूर आंदोलन हमेशा “हमारी नीति का एक सकारात्मक हिस्सा” रहेगा।