बिहार में स्वास्थ्य मंत्रालय संभालने के बाद से तेजस्वी यादव एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। वह कामचोरी कर रहे कर्मचारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में हैं। इसी क्रम में उन्होंने सात सौ से भी ज्यादा उन डॉक्टरों की एक लिस्टी जारी कराई है, जो लंबे समय से अस्पतालों में गैरहाजिर हैं और सैलरी ले रहे हैं। उन्होंने दोषी चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कार्रावाई का वादा किया है।

स्वास्थ्य विभाग ने पिछले एक महीने में पूरे राज्य के सरकारी अस्पतालों में अनुपस्थित चल रहे 705 डॉक्टरों का पता लगाया है। तेजस्वी ने कहा, “सरकारी अस्पतालों में लगभग 705 डॉक्टर कई वर्षों से अनुपस्थित हैं। इनमें से कुछ पिछले 12 साल से, कुछ 10 साल से और कुछ पांच साल से अनुपस्थित हैं।” स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जो ईमानदार हैं और जिम्मेदारी से अपना कर्तव्य निभाते हैं, उन्हें सम्मानित किया जाएगा, लेकिन जो बेईमान हैं और अपना काम नहीं करते हैं उन्हें दंडित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वह लोगों के लिए काम करते रहेंगे और पीछे नहीं हटेंगे। तेजस्वी ने कहा, “यह सरकार लोगों की समस्याओं को सुनती है और काम करती है। जनता ने हमें चुना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि यह लोगों की सरकार है, इसलिए हम उनके लिए काम कर रहे हैं। हम यहां कुछ और करने के लिए नहीं हैं।”

स्वास्थ्य मंत्री ने पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह को एक निरीक्षण दौरे के दौरान विभिन्न खामियों का पता चलने के बाद निलंबित कर दिया था। उन्होंने कहा कि सिंह को नहीं पता कि डेंगू वार्ड कहां है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने अनुपस्थित डॉक्टरों की सूची अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इसके साथ ही इन डॉक्टरों को ईमेल के जरिए अनुपस्थिति का कारण बताने के लिए कहा गया है।

इस पर सिर्फ 150 डॉक्टरों ने ही अनुपस्थित रहने का कारण बताया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कारण नहीं बताने वालों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग कड़ी कार्रवाई करेगा। वहीं, सरकार के इस कदम पर डॉक्टरों ने विरोध जताया है और अनुपस्थित लोगों की पहचान करने की प्रक्रिया में खामियां बताई हैं।

एक अखबार के साथ बात करते हुए भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) के एक वरिष्ठ चिकित्सक और केंद्रीय समिति के सदस्य अजय कुमार ने कहा, “स्वास्थ्य विभाग की कार्मिक प्रबंधन प्रणाली बहुत खराब है। इसके अलग-अलग अंगों का ना तो कोई तालमेल है और ना ही इस बात का कोई आभास है कि वे क्या कर रहे हैं। हमारे पास इस बात के सुबूत हैं कि सूची में शामिल कई डॉक्टरों ने सेवा में शामिल होने के बाद ही इस्तीफा दे दिया था। स्वास्थ्य विभाग इस्तीफों पर काम ना करने के लिए कुख्यात है।” इसके अलावा, डॉक्टरों का कहना है कि लिस्ट में उन लोगों के भी नाम शामिल हैं, जिनका तबादला हो चुका है। कुछ रेजिडेंट डॉक्टर बन गए हैं या मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में टीचिंग पोस्ट ले चुके हैं।