रेवड़ी विवाद के बीच तमिलनाडु के वित्त मंत्री डॉ पी थियागा राजन ने भाजपा पर निशाना साधा है और पूछा कि क्या राज्यों में मुफ्त सुविधाएं भगवान के हाथ से उतरती हैं। बता दें कि यह विवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल में की गई टिप्पणी से शुरू हुआ था, जिसमें उन्होंने मुफ्त में बांटने को “रेवडी संस्कृति” कहा था।

तमिलनाडु के वित्त मंत्री डॉ पी थियागा राजन ने चुनाव में मुफ्तखोरी को लेकर भाजपा और विपक्ष के बीच बड़ी राजनीतिक लड़ाई पर एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, “जो भी हो, मेरे लिए यह स्पष्ट नहीं है कि सर्वोच्च न्यायालय, टीवी एंकर या वित्त आयोग संविधान के तहत नियम बनाने का सही अधिकार है। मतदाता इस आधार पर अपना फैसला करेंगे कि वे (मुफ्त योजना) इसे पसंद करते हैं या नहीं, वे फिर से चुनाव करते हैं या नहीं। मुझे समझ नहीं आता कि इसमें कोर्ट की क्या भूमिका है। कब से किसी देश का संविधान सर्वोच्च न्यायालय को यह तय करने की अनुमति देता है कि जनता का पैसा कैसे खर्च किया जायेगा?”

प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तमिलनाडु के वित्तमंत्री डॉ पी थियागा राजन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने हाल ही में मुफ्त बस की सवारी की घोषणा की है। क्या प्रधानमंत्री उस पर नकारात्मक के लिए सकारात्मक हैं? तमिलनाडु में हमारी पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार (भाजपा सहयोगी) ने एक लाख महिलाओं के लिए आधी कीमत पर स्कूटर देने का फैसला किया और प्रधानमंत्री उस योजना का उद्घाटन करने आए। तब उनकी सोच क्या थी?”

डॉ पी थियागा राजन ने कहा, “यह हास्यास्पद है कि मेरे लिए यह एक नियम है, आपके लिए दूसरा नियम है। तर्क वे देते हैं और किसी को सवाल नहीं करना है क्योंकि यह सीधे भगवान के हाथ से उतरता है। और अगर कोई और देता है, तो वे कहते हैं, ‘नहीं, नहीं, यह है मुफ्त की रेवड़ी।”

बता दें कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी है क्योंकि एक याचिका में मांग की गई थी कि ऐसे वादे करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द किया जाए। अदालत ने अब केंद्र से पूछा है कि “मुफ्तखोरी” का क्या मतलब है और आम आदमी पार्टी और द्रमुक (डीएमके) से भी जवाब मांगा है। डीएमके से तमिलनाडु के वित्त मंत्री भी हैं।