रेलवे को दुरुस्त बनाने के लिए ठोस रणनीति, सबके समर्थन व राजनीति से ऊपर उठ कर देखने की जरूरत पर बल देते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार को कहा कि रेलवे के विकास के लिए उनके पास पांच साल का स्पष्ट खाका है। सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श करके 2030 तक के लिए खाका तैयार किया जा रहा है। सदन ने इस संबंध में कई कटौती प्रस्तावों को नामंजूर करते हुए मंत्री के जवाब के बाद 2016-17 के लिए अनुदान की मांगोंं को पारित कर दिया।

लोकसभा में रेल बजट के लिए 2016-17 के लिए अनुदान की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रभु ने कहा कि रेलवे को ठीक करने के लिए रणनीति बनाने, सबके समर्थन के साथ आगे बढ़ने और राजनीति से ऊपर उठ कर देखने की जरूरत है। पिछले दो साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इसी दिशा में बढ़ रहे हैं क्योंकि प्रधानमंत्री रेलवे को देश के विकास के आधार के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि हमने रेलवे को दुरुस्त बनाने के लिए पांच साल की स्पष्ट योजना बनाई है।

यही नहीं, हमने 5 से 10 साल के दौरान भी रेल कैसे चले, इसकी भी योजना बनाई है। इस दिशा में विजन 2020 महत्त्वपूर्ण है। रेलवे की काफी योजनाएं लंबित हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पूर्व में काफी संख्या में योजनाओं का एलान किया गया, लेकिन इनके लिए बजट का प्रावधान नहीं किया गया, इसके कारण ये पूरी नहीं हो सकीं।

उन्होंने कहा कि हमने रेलवे को पटरी पर लाने के लिए 2030 की रूपरेखा तैयार करने की पहल की है जो देश का और देश के लिए है। प्रभु बोले- रेलवे में मांग और आपूर्ति में काफी अंतर है और सभी मांगों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इसके लिए हमने कुछ नया करने की पहल की है। साथ ही रेलवे के राजस्व को बढ़ाने का कार्य भी किया गया है। हम ‘रेल को ठीक करो’ ध्येय को आगे लेकर चल रहे हैं। पहली बार रेल बजट में कार्य निष्पादन रिपोर्ट पेश की गई है जिसके जरिए हम बताना चाहते हैं कि घोषणाओं के अनुरूप क्या काम किया गया।

रेल मंत्री ने कहा कि रेल बजट पेश करने के बाद हमने कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें मिशन शून्य दुर्घटना, मिशन लागत कमी, दक्षता अनुपालन, मिशन रफ्तार, मिशन फ्रेट टर्मिनल जैसी पहल शामिल हैं। देश का हर नागरिक जानना चाहता है कि पैसा कहां कहां और किस प्रकार से खर्च किया गया।

इसे ध्यान में रखते हमने परिणामोन्मुख आडिट की पहल की है ताकि सब खर्चो को हिसाब रखा जाए। उन्होंने बताया कि रेलवे के लिए इस बार पूंजीगत व्यय मद में 94 हजार करोड़ रुपए दिए गए हैं और इसमें दोहरीकरण, विद्युतीकरण और सुरक्षा को विशेष तवज्जो दी है। रेलवे को अधिक खर्च करना है और इसे ध्यान में रखते हुए हम वैश्विक चलन पर ध्यान दे रहे हैं। रेल बजट में विशेष तौर पर यात्री सुविधाओं और गरीब लोगों का ध्यान रखा गया है।

गरीबों के लिए अंत्योदय एक्सप्रेस, दीन दायालु कोच, भविष्योन्मुखी तेजस, 40 फीसद अधिक यात्री ढोने में सक्षम उदय ट्रेन जैसी पहल की गई है। पहला रेल विश्वविद्यालय बडोदरा में स्थापित करने की पहल की गई है।बुलेट ट्रेन सहित कोई भी हाई स्पीड ट्रेन सामान्य गति की आम आदमी की रेलगाड़ियों की गति को प्रभावित नहीं करेगी।