सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के विवादित स्थल पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं की मांग करने वाली भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर जल्द सुनवाई से मंगलवार को इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा- आप (स्वामी) महज एक पक्ष हैं और आपकी याचिका दूसरे असंतुष्ट पक्षों के साथ ही सुनी जाएगी।

स्वामी ने पीठ के समक्ष मामला रखते हुए कहा कि इस विवादित स्थल पर जाने वाले श्रद्धालुओं को पीने का पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं। इस पीठ में न्यायाधीश यूयू ललित भी थे। इससे पहले शीर्ष अदालत ने स्वामी से कहा था कि वे अपना मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए रखें। शीर्ष अदालत ने पिछले साल केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि वे राम जन्मभूमि स्थल पर तीर्थयात्रियों के लिए मौजूदा परिदृश्य में व्यावहारिक बेहतर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर गौर करें।

अदालत ने कहा था- कुछ कीजिए। यदि संभव हो तो स्थान की मरम्मत और आगंतुकों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए कुछ कीजिए। इससे पहले न्यायालय ने केंद्र से कहा था कि वह तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं की मांग करने के लिए दायर स्वामी की याचिका पर जवाब दाखिल करे। स्वामी ने अपनी याचिका में कहा था कि भगवान राम के भक्त तीर्थयात्रियों को पीने का पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलतीं और उन्हें केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से किए गए अपर्याप्त प्रबंधों के कारण मुश्किल का सामना करना पड़ता है।

स्वामी ने कहा था कि शीर्ष अदालत की ओर से 1996 में यथास्थिति बनाए रखने का जो आदेश जारी किया गया था वह विवादित स्थल पर किसी संरचना के निर्माण को रोकने तक सीमित था। इस याचिका में उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा कि चूंकि लाखों हिंदू तीर्थयात्री अयोध्या में राम जन्मभूमि के दर्शन करने और पूजा करने जाते हैं इसलिए वहां सुविधाओं में सुधार के लिए आदेश जारी किया जाना चाहिए।