सेक्टर- 93 स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट परिसर में बने जुड़वां टावर को (सियान और एपेक्स) गिराने से पहले आसपास 100 मीटर के दायरे में 15 टावरों को खाली कराया जाएगा। बताया जा रहा है कि इसकी जद में एटीएस विलेज और टावर-1 एक भी आ सकते हैं। ऐसे में एडिफिस कंपनी एटीएस विलेज के दोनों टावरों का बीमा भी कराने जा रही है। बीमा करीब 100 करोड़ का होगा। इसे कराने के बाद कंपनी सुपरटेक को ध्वस्तीकरण की तारीख तय कर देगी। फरवरी के अंत तक दोनों टावरों को गिराने की तारीख तय होने की उम्मीद जताई जा रही है।

जुड़वां टावरों को विस्फोटक से गिराने से पहले एमराल्ड कोर्ट के 15 टावरों में बने 650 फ्लैट में रहने वाले 2500 लोगों को मकान खाली करना होगा। ध्वस्तीकरण के बाद सुरक्षा और तकनीकी जांच के बाद सभी लोगों को उनके मकानों में वापस भेज दिया जाएगा। परिसर में बने 16 और 17 नंबर वाले टावर ही ध्वस्त किए जाने हैं। मानचित्र के अनुसार, इन दोनों टावरों की दूरी अन्य टावरों से 9 से 18 मीटर ही है।

इमारतों को ध्वस्त करने से पहले हवा की दिशा भी महत्वपूर्ण होगी। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ध्वस्तीकरण के दौरान हवा की दिशा टावरों से विपरीत (दूसरी तरफ) हो तो बेहतर होगा। ताकि 15 से 20 मिनट तक बनने वाले धूल के गुबार का असर टावरों के मूलभूत ढांचे पर न पड़े। ध्वस्तीकरण की कार्यवाही के लिए प्राधिकरण ने अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए 10 विभागों को दस्तावेज भेजे हैं। जिसमें जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर, सिटी मजिस्ट्रेट नोएडा, डीसीपी सेंट्रल जोन, डीसीपी यातायात, मुख्य अग्निशमन अधिकारी गौतमबुद्ध नगर, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जीएम गेल, एमडी यूपीपीसीएल, मुख्य संयुक्त विस्फोट नियंत्रण शामिल हैं।

दोनों टावर में बनाए जाने थे 950 से ज्यादा फ्लैट
सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट बनाए जाने थे। उच्च न्यायालय की ओर से 2014 में स्टे लगाने के पहले 32 मंजिल का निर्माण पूरा हो चुका था। 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे। जिनमें से 248 रकम वापस (रिफंड) ले चुके हैं, जबकि 133 दूसरी परियोजनाओं में स्थानांतरित हो गए हैं। लेकिन 252 ने अब भी यहीं निवेश कर रखा है। इन 252 निवेशकों को 12 फीसद ब्याज के साथ करीब 100 करोड़ रुपए वापस करने हैं। दोनों टावरों को गिराने में करीब 17 करोड़ रुपए का खर्च होगा और इसमे मलबे की कीमत करीब 13 करोड़ रुपए के आसपास होगी।

बता दें कि सुपरटेक बिल्डर ने नोएडा के सेक्टर-93 में एमरल्ड कोर्ट नाम के स्थल में 40 और 39 मंजिल के 2 नए टावर खड़े कर दिए। 950 फ्लैट वाले दोनों टावर बनाते समय वहां पहले से रह रहे लोगों की सहमति नहीं ली गई। नक्शे के हिसाब से यह निर्माण सोसाइटी के खुले क्षेत्र में उस जगह किया गया, जहां से पार्क में जाने का रास्ता था। इस विशाल निर्माण से इमारतों के बीच की दूरी बहुत कम हो गई। पहले से रह रहे लोगों को रोशनी और हवा पाने में भी समस्या होने लगी। सोसाइटी के आरडब्लूए ने नोएडा प्राधिकरण से निर्माण के बारे में जानकारी मांगी, तो उन्हें मना कर दिया गया।