देशभर से आए किसान पिछले 9 महीने से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किये गए तीनों कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं। किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा प्रभाव पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में देखने को मिल रहा है। हरियाणा में किसान आंदोलन को धार देने का श्रेय किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को दिया जाता है। चढूनी ही हरियाणा के पहले किसान नेता थे जिन्होंने बीते साल नवंबर में किसानों के दिल्ली कूच पर कहा था कि हम किसी भी हाल में दिल्ली पहुंच कर रहेंगे। तो आइए जानते हैं गर्म तेवर वाले किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी की कहानी जो किसान आंदोलन का मुख्य स्तंभ होने के बावजूद भी अपने बयानों की वजह से संयुक्त किसान मोर्चा से सस्पेंड भी किए गए हैं।

पिछले दिनों हरियाणा के करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मीटिंग का विरोध करने का आह्वान भी किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने ही किया था। इस मीटिंग का विरोध करने पहुंचे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया था। जिसमें कई किसानों को चोटें आई थी. किसानों के ऊपर हुए लाठीचार्ज को लेकर आलोचनाओं से घिरी खट्टर सरकार भी बैकफुट पर आ गई थी। इतना ही नहीं किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा का तबादला भी कर दिया गया था।

हालांकि इससे पहले भी गुरनाम सिंह चढूनी के आह्वान पर किसान भाजपा नेताओं के कार्यक्रम का विरोध कर चुके हैं। इतना ही नहीं बीते 10 जनवरी को तो किसानों के विरोध के कारण मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपने गृह जिले करनाल में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल भी नहीं हो पाए थे और उनका हेलीकॉप्टर भी नहीं उतर पाया था। सीएम खट्टर ने इसके लिए गुरनाम सिंह चढूनी को ही दोषी ठहराया था. दरअसल गुरनाम सिंह चढूनी ने मीटिंग का विरोध करने के लिए एक वीडियो संदेश जारी किया था। जिसमें उन्होंने लोगों से कहा था कि मेरी विनती है कि इसका मरोड़ निकल दो। जिसके बाद लोगों ने कार्यक्रम का जमकर विरोध किया था।

दिल्ली की सीमा पर किसानों को लाने का श्रेय भी बहुत हदतक गुरनाम सिंह चढूनी को ही दिया जाता है। दरअसल 24 नवंबर 2020 को गुरनाम सिंह चढूनी ने ही प्रदर्शनकारी किसानों से किसी भी कीमत पर दिल्ली पहुंचने का आह्वान किया था। चढूनी ने कहा था कि अगर आवश्यक हो तो पुलिस के द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स भी हटा दिए जाएं। इसके बाद किसान सभी बाधाओं को पार करते हुए हरियाणा में दाखिल हुए थे। नवंबर 2020 में पुलिस नाके तोड़ने के अपने आह्वान पर चढूनी ने द संडे एक्सप्रेस से कहा कि प्रदर्शनकारियों को गोली मारने का कोई कानून नहीं है। हम पुलिस की लाठियों का सामना करने के लिए तैयार थे। अगर वे लाठियों का इस्तेमाल करते हैं तो इससे पूरे देश में जागरूकता आएगी और हमारा आंदोलन सफल होगा। आप हाल ही में करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज का उदाहरण लें।

हरियाणा में एक दशक से भी ज्यादा समय से किसानों के मुद्दों को उठाने वाले गुरनाम सिंह चढूनी को दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है और वे इस आंदोलन को चलाने वाली समिति संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य भी हैं। संयुक्त किसान मोर्चा में ही उनके साथी योगेन्द्र यादव गुरनाम सिंह चढूनी को ताकत का एक स्तंभ मानते हैं। साथ ही वे कहते हैं गुरनाम सिंह इस आंदोलन के शुरुआत से जुड़े रहे हैं और उन्होंने इस आंदोलन को आगे बढ़ाने में एक महतवपूर्ण भूमिका निभाई है।

पिछले दिनों गुरनाम सिंह चढूनी के एक बयान के कारण उन्हें संयुक्त किसान मोर्चा से कुछ दिनों के लिए निलंबित भी कर दिया गया था। दरअसल उन्होंने कहा था कि किसान नेताओं को आगामी पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहिए। जिसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने उन्हें निलंबित कर दिया था. हालांकि गुरनाम सिंह चढूनी के विरोधी उनपर किसान आंदोलन की आड़ में अपनी राजनीति चमकाने का आरोप लगाते हैं। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज का मानना है कि वह आंदोलन के जरिए एक और अरविंद केजरीवाल बनना चाहते हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे पी दलाल कहते हैं कि चढूनी कांग्रेस के निर्देश पर काम कर रहे हैं। वह किसान नेता नहीं बल्कि एक आढ़ती हैं।

हालांकि अपने ऊपर लगे इन आरोपों को खारिज को गुरनाम सिंह चढूनी खारिज करते रहे हैं। साथ ही वे पंजाब विधानसभा चुनाव में किसान नेताओं के चुनाव लड़ने वाले अपने बयान पर अडिग हैं। उन्होंने निलंबित होने के बाद भी कहा था कि मैं अपनी विचारधारा के साथ खड़ा हूं कि किसानों और मजदूरों को चुनाव लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था लुटेरी कंपनियों द्वारा चलाई जा रही है। अगर चोरों का एक गिरोह चुनाव लड़ने के लिए टिकट देता है, तो आपको उनके नियमों का पालन करना होगा।

हालांकि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के बारे में गुरनाम सिंह चढूनी का मानना है कि यह आंदोलन भाजपा को बर्बाद कर देगा। यह बदलाव का संकेत है। संडे एक्सप्रेस से बातचीत में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि उन्हें पता नहीं है कि ये आंदोलन कहां तक जाएगा लेकिन यह आंदोलन भाजपा को बर्बाद कर देगा। यह बदलाव का संकेत है। किसान अब आंदोलन को अपने जीवन के एक अभिन्न हिस्से के रूप में देखते हैं।