उत्तराखंड में आजकल विभिन्न विभागों में भर्ती घोटालों को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। पिछले दिनों उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में परीक्षा प्रश्न पत्र लीक हो जाने के मामले ने सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर हुए घपलों की पोल खोल दी। इसके बाद तो राज्य के विभिन्न सरकारी महकमों में एक के बाद एक भर्ती घोटालों की पोल खुलने लगी और भर्ती घोटालों की आंच उत्तराखंड की विधानसभा तक जा पहुंची। तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस जांच घोटाले की जांच का आग्रह किया।

नौकरियों में धांधली पर छिड़े घमासान के बीच कई आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा। विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर जहां पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह कुंजवाल घेरे में है वहीं पिछली विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके उत्तराखंड सरकार के मौजूदा वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल भी अपने कार्यकाल में की गई नियुक्तियों को लेकर विवाद में घिरें हैं।

कुंजवाल और अग्रवाल के समय विधानसभा में पिछले दरवाजे से 231 नियुक्तियां करने का आरोप लग रहा है। इन सभी आरोपों की जांच करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडीÞ ने सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दिलीप कुमार कोटिया के नेतृत्व में 3 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है जो एक महीने में अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को देगी। वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में विधानसभा के सचिव मुकेश कुमार सिंघल को आगामी आदेश तक आवश्यक अवकाश पर भेज दिया है।

उन्होंने अपनी देखरेख में विधानसभा के सचिव का कार्यालय सील करवाया ताकि किसी भी दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ ना की जा सके। विधानसभा अध्यक्ष ने जिन सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी कोटिया को भर्ती घोटाले की जांच सौंपी है उनकी छवि एक ईमानदार और सख्त प्रशासक की मानी जाती है।

वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत खड़े दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि हरीश रावत के मुख्यमंत्री काल में ही कुंजवाल ने विधानसभा में भर्तियां की थी और उन पर भी इन नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद का आरोप लगा था। कुंजवाल ने तब 158 नियुक्तियां की थी पिछली विधानसभा में तब के विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने 72 भर्तियां की थी। उन पर भी कुंजवाल की तरह भाई-भतीजावाद का आरोप लगा था और उनके बेटे को विधानसभा में नौकरी देने का आरोप लगाया गया पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने नियमों के तहत नियुक्तियां की।

‘2012 से 2022 तक विधानसभा में नियुक्तियों की होगी जांच’

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी का कहना है कि जांच समिति पहले चरण में 2012 से 2022 तक विधानसभा में पिछले दरवाजे से हुई भर्तियों की जांच करेगी। आवश्यकता पड़ने पर 2000 से 2011 तक हुई भर्तियों को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने कहा जांच में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी और उन्हें सख्त फैसले लेने पड़ेंगे तो वे उसके लिए भी तैयार हैं। उधर दूसरी ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन दरोगा भर्ती परीक्षा में धांधली की जांच के आदेश दिए हैं।

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने आठ विभागों में विभिन्न भर्तियों की भी जांच के आदेश दिए हैं। इसमें वी डी ओ भर्ती घोटाला, स्रातक स्तरीय भर्ती घोटाला,सचिवालय रक्षक भर्ती घोटाला, दरोगा भर्ती 2015 घोटाला, वन आरक्षी भर्ती 2015 घोटाला, कनिष्ठ सहायक न्यायिक भर्ती घोटाला, वन दरोगा भर्ती परीक्षा घोटाला तथा यू.जे.वी.एन.(ए .ई.)भर्ती घोटाला शामिल है। उत्तराखंड के 22 सालों के इतिहास में पुष्कर सिंह धामी सरकार पहली ऐसी सरकार बन गई है जिसने एक साथ कई घोटालों की जांच के आदेश दिए हैं।

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने आरोप लगाया कि राज्य के उच्च शिक्षा विभाग में मनमाने तरीके से नियुक्तियां की गई हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में 56 नियमित नियुक्तियां राज्य के तत्कालीन वित्त सचिव आपत्ति के बावजूद की गई श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के ऋषिकेश परिसर में 65 पदों पर समायोजन के माध्यम से नियम विरुद्ध नियुक्तियां की गई हैं। जो मामला फिलहाल नैनीताल उच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में जो भी नियम विरुद्ध नियुक्तियां की गई हैं उनकी जांच की जाए।

वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में आजकल सोशल मीडिया में एक ऐसी ही नौकरियों की सूची वायरल हो रही है। जिसमें राज्य की भाजपा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद पाण्डे द्वारा अपने घरवालों और रिश्तेदारों पर नौकरियों पर रखे जाने का आरोप लगाया है कि कैबिनेट मंत्री रहते अरविंद पाण्डे ने 2017-2022 के बीच अपने पद प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने उत्तर प्रदेश और बिहार के कई रिश्तेदारों को विभिन्न विभागों में नौकरी लगवाई। यह आरोप लगाने वाले राहुल सैनी सोशल मीडिया में स्वयं को देहरादून के डोईवाला विधानसभा क्षेत्र के युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बता रहे हैं और उन्होंने इस मामले की सीबीआई या विशेष पुलिस बल से जांच कराने की मांग की है। इस तरह उत्तराखंड की राजनीति आजकल नौकरियों में भर्तियों के घोटालों के इर्द-गिर्द घूम रही है।