पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सियासी मैदान में वापसी कर ली है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी भाजपा को खासा नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश में भाजपा के साथ उसका कांटे का मुकाबला देर रात तक चलता रहा। कांग्रेस पार्टी बहुमत के जादुई आंकड़े 116 (जीत/रुझान) से दो सीटें पीछे रही। वहां बसपा ने दो और सपा ने एक सीट पर जीत हासिल की है। निर्दलीयों ने चार सीटें जीती हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया है। राजस्थान में वह सरकार बनाने के करीब पहुंच गई है। कांग्रेस को 99 सीटें मिली हैं। वहां 13 निर्दलीय जीते हैं, जिनके संपर्क में कांग्रेस नेता हैं। वहां छह सीटें जीतने वाली बसपा ने कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया है। तेलंगाना में टीआरएस ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए सत्ता में दोबारा वापसी कर ली है। मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट ने कांग्रेस से राज्य की सत्ता छीन ली है।
हिंदीपट्टी के तीनों राज्यों में भाजपा को नुकसान
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों में सत्ताधारी भाजपा को खासा नुकसान पहुंचाया है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बहुमत हासिल कर लिया और राजस्थान में वह सरकार बनाने के लिए बहुमत के आंकड़े के करीब पहुंच गई। मध्य प्रदेश में देर रात तक दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा पेश किया है। नतीजे आने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने-अपने राज्यों के राज्यपालों को इस्तीफे सौंप दिए। मध्य प्रदेश के नतीजों को लेकर राजनीतिक दलों ने देर रात तक नतीजों पर टकटकी लगाए रखी।
वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को सिंहासन का सेमीफाइनल कहा जा रहा था। मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में कांग्रेस पार्टी बहुमत के जादुई आंकड़े 116 से तीन सीटें पीछे रही। वहां बसपा ने दो और सपा ने दो सीटों पर जीत हासिल की है। निर्दलियों ने चार सीटें निकाली हैं। कम से कम एक दर्जन सीटें ऐसी हैं जहां दोनों पार्टियों के बीच फासला सिर्फ 500 मतों का रहा। भाजपा ने 109 सीटें निकाली हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में भाजपा को 41.1 फीसद और कांग्रेस को 41 फीसद मत मिले हैं। नतीजों-रुझानों को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि नतीजे मध्य प्रदेश में बदलाव के लिए लोगों की इच्छा को दर्शाते हैं, जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भरोसा जताया कि उनकी पार्टी राज्य विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का चुनाव कर लेगी।
सत्ता विरोधी लहर से जूझ रहे तीन बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधनी सीट से चुनाव जीत गए हैं, लेकिन उनकी सरकार के दर्जन भर मंत्रियों में कई हार गए। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने कांटे की चुनावी टक्कर में कांग्रेस उम्मीदवार अश्विन जोशी को 5,751 मतों से शिकस्त दी। इंदौर-3 सीट पर हुए इस उतार-चढ़ाव भरे मुकाबले में आकाश को 67,075 वोट मिले, जबकि जोशी के खाते में 61,324 मत आए। इस सीट पर 1,447 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना। आकाश (34) ने अपने राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव लड़ा, जबकि जोशी (58) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव से जीत गए। शिवराज सिंह चौहान ने अरुण यादव को 58,999 मतों से पराजित कर अपनी सीट लगातार चौथी बार बरकरार रखी। हालांकि, इस बार उनकी जीत का अंतर काफी कम हो गया। पिछली बार वे इस सीट से 84,805 मतों से जीते थे। प्रदेश में मंत्री और भाजपा की शिवपुरी से उम्मीदवार यशोधरा राजे सिंधिया ने कांग्रेस के सिद्धार्थ लढ़ा को 28,748 मतों के अंतर से पराजित कर इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत के बेटे जितेंद्र गहलोत को कांग्रेस प्रत्याशी मनोज चावला ने आलोट सीट से 5,448 मतों से हरा कर उनसे सीट छीन ली।
चौंकाने वाले बताए जा रहे नतीजे में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने 15 साल से चल रहे रमन सिंह के शासन का अंत कर दिया है। छत्तीसगढ़ में हार स्वीकार कर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने कहा कि वे भाजपा के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं। वहां कांग्रेस ने 68 सीटें जीतीं। भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई। वहां बसपा को दो सीटों पर फायदा हुआ है। अजित जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को पांच सीटें मिली हैं। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के पांच मंत्री-बृजमोहन अग्रवाल (रायपुर शहर दक्षिण), केदार कश्यप (नारायणपुर), महेश गगदा (बीजापुर), दयालदास बघेल (नवागढ़) और अमर अग्रवाल (बिलासपुर) समेत कई अहम नेता हार गए।
अंबिकापुर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी और विपक्ष के नेता टीएस सिंहदेव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के अनुराग सिंहदेव को 39624 वोटों से हराया। कुरूद विधानसभा सीट से मंत्री अजय चंद्राकर ने निर्दलीय नीलम चंद्राकर को 12317 वोटों से हराया। कोंटा विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कवासी लखमा ने भाजपा के धनीराम बारसे को 6709 मतों के अंतर से पराजित किया। वहीं नारायणपुर सीट से कांग्रेस के चंदन कश्यप ने मंत्री केदार कश्यप को 2647 वोटों से पराजित किया। बीजापुर सीट में कांग्रेस के विक्रम मंडावी ने मंत्री महेश गागड़ा को 21584 वोटों से हराया है। दुर्ग ग्रामीण सीट से कांग्रेस के सांसद ताम्रध्वज साहू और पाटन सीट से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल जीत गए हैं। अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे), बसपा और भाकपा गठबंधन से मारवाही और कोटा सीटों पर अजीत जोगी और उनकी पत्नी रेणु जोगी को सफलता मिली है।
राजस्थान में सत्ता परिवर्तन की परंपरा बरकरार रही। राजस्थान में दो सौ में से 199 सीटों के हुए चुनाव नतीजों में कांग्रेस ने 100 सीटें हासिल कर लीं। भाजपा ने तमाम अटकलों को खारिज करते हुए बुरी हार से बचते हुए सम्मानजनक 73 सीटें हासिल कर लीं। हालांकि, प्रदेश में बसपा और अन्य छोटे दलों के साथ निर्दलियों ने 26 सीटें जीत कर दोनों दलों के समीकरणों को गड़बड़ कर दिया। नतीजों के बाद कांग्रेस में अब मुख्यमंत्री के पद को लेकर सियासत गरमा गई है। भाजपा को सबसे बड़ा झटका जयपुर और जोधपुर संभाग से लगा है। इन दोनों संभागों में हुई हार की बदौलत ही भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।
कांग्रेस ने प्रदेश की 195 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसने पांच सीटें अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़ी थीं। सहयोगी दलों में से सिर्फ राष्ट्रीय लोकदल ने एक सीट भरतपुर की जीती है। चुनावों में भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी झालरापाटन सीट से और उनके वरिष्ठ मंत्री गुलाबचंद कटारिया उदयपुर शहर सीट से जीत गए। कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरदारपुरा से और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने टोंक से जीत दर्ज की।
कांग्रेस के बड़े नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी ने नाथद्वारा, लालचंद कटारिया ने जयपुर की झोटवाड़ा सीट से जीत हासिल की। हालांकि, कांग्रेस के कई बडेÞ नेता हारे भी हैं। प्रदेश में प्रतिपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी नोखा से और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ गिरिजा व्यास उदयपुर से चुनाव हार गईं। प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी ने छह और माकपा ने दो सीटें जीतीं है। हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी दो सीटें जीतीं है। इन दलों पर अब कांग्रेस के नेताओं की निगाहें लग गई हैं। चुनाव नतीजों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस की सरकार में शामिल होने के लिए अन्य छोटे दलों और निर्दलियों का सहयोग लेने की बात कही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी कहा कि हम कांग्रेस की विचारधारा वाले निर्दलीय विधायकों के भी संपर्क में है।
वसुंधरा सरकार के मंत्री यूनुस खान, गजेंद्र सिंह खींवसर, प्रभुलाल सैनी, डॉक्टर रामप्रताप, अजय सिंह किलक, राजपाल सिंह शेखावत, अरुण चतुर्वेदी, बाबूलाल वर्मा जैसे दिग्गज नेता चुनाव हार गए। जीतने वाले मंत्रियों में राजेंद्र राठौड़, कालीचरण सर्राफ, अनिता भदेल, वासुदेव देवनानी अपनी सीटें बचाने में कामयाब रहे। विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल चुनाव जीतने में कामयाब रहे तो उनके उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह हार गए। प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और वसुंधरा राजे के सबसे करीबी अशोक परनामी जयपुर के आदर्श नगर से चुनाव हार गए। (जनसत्ता ब्यूरो)