Mahua Moitra: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता महुआ मोइत्रा ने हाल ही में भारतीय दूरसंचार विधेयक के मसौदे से एक पेज साझा किया, जिसका उद्देश्य कानून का आधुनिकीकरण करना है। पाठ में भगवद गीता और ‘आत्मा’ का उल्लेख है। बिल के व्याख्यात्मक मसौदे के एक पाठ का हवाला देते हुए, मोइत्रा ने ट्विटर पर लिखा कि यह एक ‘आध्यात्मिक’ पाठ नहीं है, बल्कि दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार किया गया एक सरकारी दस्तावेज है, जो भारत की केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है।
महुआ मोइत्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘एक तरह से स्पेक्ट्रम आत्मा के समान है, जो कि अजर, अमर है, जैसा कि भगवद् गीता में वर्णित है। आत्मा की तरह स्पेक्ट्रम का भी कोई भौतिक रूप नहीं होता, फिर भी वह सर्वव्यापी है। बिल पर तंज कसते हुए मोइत्रा ने आगे लिखा, “यह कोई आध्यात्मिक पाठ नहीं है। यह दूरसंचार विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किए गए दूरसंचार विधेयक के व्याख्यात्मक नोट का पृष्ठ 5 है।
दस्तावेज़ के प्रारूपण के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए महुआ मोइत्रा ने एक और ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें भगवद गीता को संसदीय बैठकों के लिए आवश्यक पठन सामग्री के रूप में वर्णित किया गया था। उन्होंने अपने ट्वीट में कांग्रेस सांसद शशि थरूर और कार्ति चिदंबरम, और द्रमुक के टी सुमति थमिजाची थंगापांडियन के ट्विटर हैंडल को टैग किया। जिसका तीनों लोगों की तरफ से अभी कोई जवाब नहीं आया है।
भारतीय दूरसंचार विधेयक के मसौदे के बारे में व्याख्यात्मक नोट एक 19-पृष्ठ का दस्तावेज है, जो तर्क प्रदान करता है कि संचार क्षेत्र पर एक नए कानून की आवश्यकता क्यों है, और इसका आधुनिकीकरण क्यों किया जाना चाहिए। नोट में कहा गया है कि 117 करोड़ ग्राहकों के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र है। दूरसंचार क्षेत्र के लिए मौजूदा नियामक ढांचा भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 पर आधारित है।
दूरसंचार की प्रकृति, इसके उपयोग और प्रौद्योगिकियों में ‘टेलीग्राफ’ के युग के बाद से बड़े पैमाने पर बदलाव आया है। अब हम 4 जी और 5 जी जैसी नई प्रौद्योगिकियों के युग में रहते हैं। भारत को वास्तविकताओं के अनुरूप एक कानूनी ढांचे की आवश्यकता है।