सपा-बसपा ने गठबंधन के बाद गुरुवार को लोकसभा सीटों के बंटवारे की लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट को देखकर लगता है कि पश्चिमी यूपी में समाजवादी पार्टी ने बसपा को तरजीह दी है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 5 आरक्षित सीटों में से 4 बसपा के खाते में गई हैं। जो 4 सीटें बसपा को मिली हैं, उनमें नगीना, बुलंदशहर, आगरा और शाहजहांपुर की आरक्षित सीटों से बसपा अपने उम्मीदवार उतारेगी। नवभारत टाइम्स की एक खबर के अनुसार, ऐसी चर्चाएं हैं कि मायावती नगीना सीट से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। उल्लेखनीय है कि साल 2014 को लोकसभा चुनाव में नगीना सीट पर समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। लेकिन सपा-बसपा गठबंधन के बाद सपा ने यह सीट बसपा के लिए छोड़ दी है।
बिजनौर जिला है मायावती के लिए खासः बसपा ने सीट बंटवारे में गाजियाबाद की सीट छोड़कर नगीना की सीट पर दावा पेश किया था, जिसे सपा ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद से ही अटकलें लगायी जा रही हैं कि नगीना सीट से मायावती खुद लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। राजनीति के जानकारों के मुताबिक मायावती के राजनैतिक जीवन में बिजनौर जिले का बड़ा योगदान रहा है। मायावती ने पहली बार लोकसभा चुनाव भी बिजनौर सीट से ही लड़ा था। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि मायावती इस बार नगीना से अपनी दावेदारी पेश कर सकती हैं। हालांकि बसपा नेताओं का कहना है कि नगीना सीट पर अपनी दावेदारी का फैसला मायावती खुद करेंगी।
वेस्ट यूपी में बसपा को तरजीहः सपा-बसपा गठबंधन ने गुरुवार को जो लिस्ट जारी की है, उसके मुताबिक पश्चिमी यूपी में अखिलेश यादव ने बसपा को तरजीह दी है। पश्चिमी यूपी के मेरठ मंडल की बात करें तो यहां से सिर्फ गाजियाबाद लोकसभा सीट पर ही सपा अपना उम्मीदवार उतारेगी। बाकी मेरठ, गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर लोकसभा सीटों पर बसपा चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा मुरादाबाद मंडल में बिजनौर, नगीना बसपा के खाते में गई हैं। वहीं रामपुर, मुरादाबाद और संभल सपा ने अपने पास रखी हैं।
दलित आंदोलन से प्रभावित रहीं मेरठ-सहारनपुर सीटें भी बसपा के खाते में: दलित मुद्दे पर हुए हिंसक आंदोलन को लेकर मेरठ और सहारनपुर सीटें बीते समय में काफी चर्चा में रही थी। इस हिंसा के विरोध में ही मायावती ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बीते साल 2 अप्रैल को दलित आरक्षण के मुद्दे पर भी मेरठ और हापुड़ में सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी। यही वजह है कि बसपा इस दलित आंदोलन का लाभ लेना चाहती है और यही वजह है कि बसपा ने मेरठ लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी पेश की है।