शिक्षा का अधिकार कानून तथा सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं के बावजूद देश भर में बड़ी संख्या में बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर है। हालांकि सरकार के पास यह आंकड़ा नहीं है कि कितने बच्चे पारिवारिक कारणों या काम करने की वजह से स्कूल नहीं जाते हैं।लोकसभा में सोमवार कुछ सदस्यों ने यह सवाल उठाया कि सरकार के मुताबिक 60 लाख बच्चे कई कारणों से स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर हैं। सरकार इस दिशा में क्या कर रही है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि पारिवारिक या अन्य कारणों से स्कूल ना जाने वाले बच्चों का आंकड़ा उनके मंत्रालय के पास नहीं है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने भी बताया है कि वे भी ऐसा कोई आंकड़ा नहीं रखते हैं।
उन्होंने कहा कि एक अप्रैल 2010 से लागू छह से 14 वर्ष के बच्चों के लिए नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून में बच्चों को अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का प्रावधान किया गया है। बाल श्रम रोकथाम एवं नियमन कानून 1986 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मजदूरी करने को निषेध करता है।
स्मृति ने कहा कि बच्चों को अधिक से अधिक शिक्षित बनाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके लागू होने के बाद से 11.40 लाख बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। ईरानी ने राज्यसभा में बताया था कि मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014 में कराए गए एक स्वतंत्र सर्वेक्षण के अनुसार, छह से 13 साल की आयु समूह में स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या 60.64 लाख थी।
उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि स्कूल न जाने वाले इन बच्चों में से सर्वाधिक 16,12,285 बच्चे उत्तर प्रदेश के हैं। बिहार में 11,69,722 बच्चे, पश्चिम बंगाल में 3,39,239 बच्चे, मध्यप्रदेश में 4,50,952 बच्चे, राजस्थान में 6,01,863 बच्चे, ओडीशा में 4,01,052 बच्चे और गुजरात में 1,59,308 बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। स्मृति ने बताया था कि स्कूल न जाने वाले बच्चों में से 19,66,029 बच्चे अनुसूचित जाति के, 10,07,563 बच्चे अनुसूचित जनजाति समुदाय के, 15,57,099 बच्चे मुस्लिम समुदाय के, 62,698 बच्चे ईसाई समुदाय के और 42,016 बच्चे अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के हैं।
छात्रों से ज्यादा फीस वसूलने वालों से निपटेगी सरकार : स्मृति
सरकार ने सोमवार बताया कि शैक्षणिक संस्थाओं में छात्रों से अत्यधिक फीस वसूलने और इससे जुड़े मुद्दों से निपटने के तंत्र को व्यवस्थित किया गया है। साथ ही समाज के वंचित वर्ग के बच्चों को सस्ती शिक्षा मुहैया कराने के मकसद से वृहद मुक्त ऑनलाइन कोर्स आधारित प्लेटफार्म के जरिये ‘स्वयं’ पहल पेश की जाएगी।
लोकसभा में बूरा नरसैया गौड़ के पूरक प्रश्नों के उत्तर में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि स्ववित्तपोषण शिक्षण संस्थानों द्वारा मनमाना शुल्क वसूल किए जाने के मुद्दे पर एआइसीटीइ विचार करती है। उन्होंने कहा कि इस वर्ग के इंजीनियरिंग कॉलेजों में काफी सीटें खाली रह जाने का एक बड़ा कारण यह भी है कि इनके पाठ्यक्रम उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार अगले सत्र से एक नया वृहद मुक्त आॅनलाइन कोर्स आधारित पोर्टल ‘स्वयं’ शुरू कर रही है। यह कार्यक्रम मोबाइल फोन आधारित होगा, जिसके तहत 500 पाठ्यक्रम मुहैया कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत दिए जाने वाले प्रमाणपत्रों और डिप्लोमा को संबंधित शिक्षण संस्थानों द्वारा मान्यता दी जाएगी।
मंत्री ने कहा कि स्वयं शुरू करने के पीछे मुख्य मकसद यह है कि देश के सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जा सके। स्मृति ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं में छात्रों से अत्यधिक फीस वसूलने और इससे जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए पहले से मौजूद तंत्र को और व्यवस्थित किया गया है।
उन्होंने कहा कि जहां तक शिक्षण संस्थाओं द्वारा फीस वसूलने का सवाल है, इस बारे में यूजीसी नियमन 2010 मौजूद है। अधिकांश राज्य फीस तय करने के लिए अधिकार संपन्न हैं ताकि कोई छात्रों से अधिक फीस न वसूल सके।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने ‘नो योर कॉलेज’ पोर्टल’ भी शुरू किया है जिसमें कालेजों को सम्पूर्ण जानकारी अपलोड करने को कहा गया है। इसमें कॉलेजों को अकादमिक शिक्षकों, पाठ्यक्रमों, फीस ढांचा, प्रयोगशाला आदि की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा गया है।