पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के साथ कथित यौन उत्पीड़न का मामला काफी तूल पकड़ चुका है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद आज बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने संदेशखाली का दौरा किया है। इस दौरान एक सिख अधिकारी को बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा ‘खालिस्तानी’ कहे जाने का मामला भी काफी चर्चा में है।

सिख आईपीएस अधिकारी के साथ बीजेपी नेताओं की संदेशखाली जाने से रोकने पर बहस हुई थी। जिसके बाद सोशल मीडिया पर कहा गया कि बीजेपी नेताओं ने अधिकारी को ‘खालिस्तानी’ कहा है। हालांकि बीजेपी नेताओं ने इस बात को खारिज किया है।

सीएम ममता बनर्जी ने भी इस मामले पर ट्वीट किया है और लिखा है कि इससे यह समझा जा सकता है कि सिखों को लेकर बीजेपी की मानसिकता कैसी है।

क्या है पूरा मामला?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले पर एक ट्वीट किया और लिखा कि भाजपा की विभाजनकारी राजनीति ने बेशर्मी से संवैधानिक सीमाओं को लांघ दिया है और सिखों को लेकर भी उनका (BJP) रवैया बहुत खराब है।

ममता बनर्जी ने ट्वीट कर लिखा,”आज बीजेपी की बांटने वाली पॉलिटिक्स ने अपनी सीमाएं लांघ दी हैं और राष्ट्र के लिए सिखों के बलिदान और अटूट दृढ़ संकल्प को कमजोर करने का प्रयास किया है।”

क्या था मामला?

आईपीएस अधिकारी जसप्रीत सिंह अपनी टीम के साथ धमाखाली में तैनात थे और उन्हें कालिंदी नदी के पार स्थित संदेशखाली जाने से बीजेपी नेताओं को रोकने के लिए तैनात किया गया था। इस दौरान बीजेपी नेताओं के साथ उनकी बातचीत को एक वीडियो के जरिए भी सुना जा सकता है। वह वीडियो में कहते सुने जा रहे हैं—“सिर्फ इसलिए कि मैंने पगड़ी पहनी है, आप लोग मुझे खालिस्तानी कह रहे हैं? क्या आपने यही सीखा है? अगर कोई पुलिस अधिकारी पगड़ी पहनता है और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाता है, तो वह आपके लिए खालिस्तानी हो जाता है? आपको शर्म आनी चाहिए।”