मथुरा की विवादित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद जमीन विवाद का मामला एक तरफ अदालत में चल रहा है। वहीं दूसरी तरफ एक और याचिका दायर की गई है। यह नई याचिका अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दायर की है। जिस पर 1 जुलाई को सुनवाई होगी। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने मथुरा के सिविल जज कोर्ट में कहा कि 1670 में औरंगजेब ने श्रीकृष्ण का मथुरा मंदिर तोड़ा था। इसके बाद वह मौजूद मूर्तियां और कीमती सामान लेकर आगरा के लाल किले में चला गया था। उन्होंने याचिका में बेशकीमती मूर्तियां और सामान को वापस लाने की मांग की है।
1670 में उखाड़ी गई थी मूर्ति
अधिवक्ता महेंद्र प्रताप ने दावा किया कि ठाकुर कृष्ण देव की वह मूर्ति करीब 500-700 साल पुरानी है। औरंगजेब के आदेश के बाद 1670 में मूर्ति उखाड़कर आगरा ले जाई गई। बाद में उसे मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया गया था। इसलिए हमारी मांग है कि वहां सभी को चढ़ने-उतरने से रोका जाए। ये हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए किया गया है। सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने वाद संख्या 950/ 2020 दायर किया है।
सर्वे कराकर निकलीं जाएं मूर्तियां
दाखिल किए गए इस प्रार्थना पत्र में किए गए दावे को पुष्ट करने के लिए औरंगजेब के मुख्य दरबारी साखी मुस्तेक खान की लिखी किताब ई-आलम गीरी का हवाला दिया गया है। अधिवक्ता ने लाल किले में बेगम साहिबा की सीढ़ियों का सर्वे कराकर मूर्ति निकलवाने की प्रार्थना की है। साथ ही आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जनरल डायरेक्टर, अधीक्षक आगरा और केंद्रीय सचिव को पार्टी बनाने की मांग की गई है।
औरंगजेब के मुख्य दरबारी साखी मुस्ताक खान की लिखी किताब ई-आलम गीरी में लिखा है, ‘जो मूर्तियां थीं वो छोटी-बड़ी थीं। जिसमें बहुत महंगे-महंगे रत्न लगे हुए थे। जो मंदिर के अंदर लगी हुईं थीं। उनको मथुरा से आगरा लाया गया। और उनको बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों में दफना दिया गया। इसके लिए कि लोग उन पर चढ़ते-उतरते रहें। इतना ही नहीं मथुरा के जिस मंदिर को डेरा ऑफ केशव राय के नाम से जाना जाता था, उसको भी तोड़ा गया। किताब में आगे यह भी लिखा है कि औरंगजेब का आदेश था कि मंदिरों को जल्द तोड़ा जाए। मंदिरों को तोड़ने के बाद उस जगह पर शानदार मस्जिद का निर्माण किया गया। सन 1670 में ईद के दिन उस मस्जिद का उद्घाटन किया गया’।
इससे पहले, मथुरा के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने निचली अदालत को शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे करने और उसमें मंदिर के चिह्नों के दावों को सत्यापित करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने के अनुरोध वाली याचिका के शीघ्र निस्तारण करने का गुरुवार को निर्देश दिया था।
याचिकाकर्ताओं ने तब पुनरीक्षण अर्जी के साथ अतिरिक्त जिला न्यायाधीश का रुख किया था, जब 23 मई को दीवानी अदालत (सीनियर डिवीजन) की निचली अदालत ने शाही ईदगाह मस्जिद की प्रबंधन समिति और अन्य को उस अर्जी पर अपनी आपत्ति दायर करने को कहा जिसमें मस्जिद के सर्वे कराने का अनुरोध किया गया था। न्यायाधीश ने इसके साथ ही उक्त अर्जी पर सुनवाई के लिए एक जुलाई की तिथि तय की है।
क्या है पूरा मामला
श्रीकृष्ण जन्मभूमि का पूरा मामला 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा है। इसमें 10.9 एकड़ जमीन कृष्ण जन्मस्थान के पास और 2.5 जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। इस मामले में हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि ईदगाह मस्जिद मंदिर की जमीन पर बनी है। उसे वहां से हटाया जाना चाहिए। इस मामले में पिछले साल अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने ईदगाह मस्जिद के अंदर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करने और जलाभिषेक का ऐलान भी किया था। मामला उसके बाद से ही लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।