Shiv Sena: चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर जारी खींचतान पर विराम लगा दिया है। चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न धनुष-बाण शिंदे गुट को दिया जाएगा। चुनाव आयोग की इस घोषणा के बाद सियासी बयानबाजी का दौर जारी है। जहां शिंदे गुट ने इस फैसले का स्वागत किया है वहीं उद्धव ठाकरे ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है।

एनसीपी चीफ शरद पवार ने भी इस मामले को लेकर बयान दिया है। शरद पवार ने कहा है कि चुनाव आयोग के फैसले को माना जाना जरूरी है। इस मुद्दे पर ज्यादा चर्चा नहीं की जानी चाहिए। शरद पवार ने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भी जिक्र करते हुए उद्धव ठाकरे को सलाह दी और कहा कि लोग जल्द नए चुनाव चिन्ह को स्वीकार कर लेंगे।

शरद पवार ने क्यों किया इंदिरा गांधी का जिक्र ?

उद्धव ठाकरे के सहयोगी एनसीपी चीफ शरद पवार ने चुनाव आयोग के फैसले पर प्रीतिक्रिया देते हुए इंदिरा गांधी का जिक्र किया। शरद पवार ने कहा कि मुझे याद है कि इंदिरा गांधी ने भी इस स्थिति का सामना किया था। कांग्रेस के पास ‘दो बैल एक जुए के साथ’ का प्रतीक हुआ करता था। बाद में उन्होंने इसे खो दिया और ‘हाथ’ को एक नए प्रतीक के रूप में अपनाया और लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया। इसी तरह उद्धव ठाकरे के दल को भी नए नाम और चिन्ह के साथ स्वीकार कर लेंगे।

शरद पवार ने कहा कि यह चुनाव आयोग का फैसला है। एक बार फैसला हो जाने के बाद कोई चर्चा नहीं हो सकती। इसे स्वीकार करें और एक नया प्रतीक लें। पुराने चुनाव चिह्न के चले जाने का कोई खास असर नहीं होने वाला क्योंकि लोग (नया चुनाव चिह्न) स्वीकार करेंगे। कांग्रेस भी इस ही तरह इन्दिरा गांधी के समय में दो हिस्सों में बंट गयी थी।

इन्दिरा की कांग्रेस (आर) के नाम से थी जबकि सीनियर कांग्रेसियों का दूसरा धड़ा कांग्रेस (ओ) बन गया। इंदिरा गांधी की पार्टी कांग्रेस को बैलों की जोड़ी का चुनाव चिन्ह नहीं मिला. काफी सोच विचार के बाद उन्होंने गाय और बछड़े को अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह बनाया। इंदिरा ने अपनी पार्टी के नए चुनाव चिन्ह गाय और बछड़े का जोरशोर से प्रचार किया. उन्होंने खुद को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित किया.