बंबई महानगर पालिका (बीएमसी) में विपक्ष का नेता का पद हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची भाजपा को निराशा हाथ लगी। कोर्ट ने इस पद पर कांग्रेस की दावेदारी को सही ठहराया है। भाजपा पार्षद प्रभाकर शिंदे की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। भाजपा का तर्क था कि बीएमसी में शिवसेना के बाद सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है, लिहाजा विपक्ष के नेता पद पर उसकी दावेदारी होनी चाहिए। कोर्ट ने भाजपा के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार बनने से पहले बीजेपी और शिवसेना साथ-साथ ही। उस समय कांग्रेस विपक्ष में थी। इसलिए विपक्ष के नेता पद पर कांग्रेस के पार्षद थे। 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली। इससे भाजपा अब विपक्ष में हो गई। इसी आधार पर भाजपा का दावा था कि विपक्ष के नेता का पद उसे मिलना चाहिए।
भाजपा का यह भी दावा था कि शिवसेना के बाद सबसे ज्यादा पार्षद उसके पास हैं। ऐसे में यह पद उनको मिलना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर भाजपा ने पहले बॉम्बे हाई कोर्ट में केस दायर किया था। हाई कोर्ट ने भाजपा का दावा खारिज करते हुए साफ किया कि इस पद पर कांग्रेस का ही हक है।
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन वहां भी भाजपा के पक्ष में फैसला नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि विपक्ष के नेता पद पर कांग्रेस का ही हक है।