नफरत फैलाने वाला भाषण देने के मामले में दो साल की सजा पर इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश की मऊ सदर सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक अब्बास अंसारी की विधानसभा की सदस्यता बहाल कर दी गई है। विधानसभा सचिवालय ने सोमवार को उनकी बहाली की अधिसूचना जारी की। विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने अधिसूचना जारी की है।

विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट की तरफ से अंसारी के दोष सिद्धि को रद्द किए जाने के बाद पूर्व में पारित आदेश निष्प्रभावी माने जाएंगे। इससे पहले विधानसभा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया था कि अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई थी और मऊ सदर सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया था।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा था?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2022 के भड़काऊ भाषण मामले में मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की दोषसिद्धि को 20 अगस्त को रद्द कर दिया था। अपने आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस समीर जैन ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी (राहुल गांधी बनाम पूर्णेश ईश्वरभाई मोदी, 2024) की अयोग्यता के खिलाफ 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा, “किसी व्यक्ति की अयोग्यता न केवल सार्वजनिक जीवन में बने रहने के जनप्रतिनिधि के अधिकार को प्रभावित करती है, बल्कि उन मतदाताओं के अधिकार को भी प्रभावित करती है जिन्होंने उसे अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना है।”

मऊ की विशेष अदालत ने 31 मई को नफरती भाषण मामले में अब्बास को दोषी ठहराया और दो साल की कैद की सजा सुनाई थी। मऊ सदर सीट से सुभासपा के विधायक और पूर्व बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने नफरत भरे भाषण के मामले में दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी।

अब्बास अंसारी पर क्या था आरोप

प्रोसिक्यूशन के अनुसार पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान मऊ सदर सीट से सुभासपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे अब्बास अंसारी ने तीन मार्च 2022 को पहाड़पुर मैदान में एक जनसभा के दौरान मऊ प्रशासन को चुनाव के बाद सबक सिखाने की धमकी दी थी। अंसारी की सदस्यता बहाल होने के बाद अब मऊ विधानसभा में उप चुनाव को लेकर शुरू हुई सियासी सरगर्मी पर भी विराम लग गया।

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