Sammed Shikharji: केंद्र सरकार ने गुरुवार को पारसनाथ पहाड़ी पर सभी पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी है। पारसनाथ पहाड़ी पर जैन धार्मिक स्थल सम्मेद शिखरजी को लेकर केंद्र ने झारखंड सरकार को इसकी पवित्रता की रक्षा के लिए तुरंत सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस संबंध में राज्य को एक ज्ञापन भेजा है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैन समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ इस मुद्दे मुलाकात की थी। जिसके बाद यह आदेश आया है।
केंद्र सरकार ने कहा पूरे देश के लिए पवित्र है सम्मेद शिखरजी
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैन समुदाय के प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया था कि सरकार सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है जो देश के लिए एक पवित्र स्थान है। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है। समुदाय के सदस्य पारसनाथ पहाड़ी पर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के कदम का लगातार विरोध कर रहे थे।
72 साल के जैन मुनि ने विरोध में दी अपनी जान
सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाए जाने का विरोध कर रहे एक जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने जयपुर के सांगानेर में अपने प्राण त्याग दिए थे। वे झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले 10 दिन से आमरण अनशन कर रहे थे। सुज्ञेयसागर 72 साल के थे। इसके बाद जैन समाज का आक्रोश और भी ज्यादा बढ़ गया था।
क्या थी विरोध की वजह ?
अगस्त 2019 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी के आसपास एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र तय किया था और राज्य सरकार के जरिए पेश किए प्रस्ताव को सामने रखते हुए पर्यटन की गतिविधियों को मंजूरी दी थी। जिसके बाद जैन समुदाय ने इसका यह कहकर विरोध किया कि यह स्थान जैन समुदाय के लिए एक पवित्र स्थान है।
कैसे दो विवाद सामने आए और जैन विरोध क्यों हो रहा है?, देखें Video
बढ़ते विरोध के बाद मंत्रालय ने झारखंड सरकार के वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को एक ज्ञापन जारी किया। जिसमें कहा गया है कि “उक्त पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों का कार्यान्वयन तत्काल रोक दिया जाता है” जिसके बाद इस क्षेत्र में पर्यटन से ताल्लुक रखने वाली अब कोई भी गतिविधि नहीं होगी।
जैन समुदाय ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद कहा
विभिन्न जैन समूहों के प्रतिनिधियों ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें कहा गया कि इस फैसले के बाद उनके सबसे पवित्र तीर्थ स्थल की पवित्रता बनी रहेगी। हमारी चिंताओं को दूर कर दिया गया है और इस मुद्दे को हमारी संतुष्टि के मुताबिक सुलझा लिया गया है।