समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनके भाई शिवपाल यादव और नेताजी के बेटे अखिलेश यादव के राजनीतिक रिश्तों को लेकर फिर चर्चा शुरू हो गई। लोगों को उम्मीद थी कि नेताजी के नहीं रहने से शोक में डूबा परिवार शायद आपसी विवाद को खत्म कर एक साथ आने की कोशिश करेगा। लेकिन नेताजी के अंतिम संस्कार के बाद शिवपाल यादव ने बयान दिया था कि “जो जिम्मेदारी मिलेगी उसे निभाऊंगा और नही भी मिली तो जिन लोगों को कोई नहीं पूछ रहा है, उनको इकट्ठा करूंगा और उनके सम्मान के लिए लड़ूंगा।”
शिवपाल यादव के इस बयान को लेकर समाचार चैनल न्यूज-18 यूपी के एंकर अमित गर्ग शुक्ला ने समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजकुमार भाटी से पूछा कि क्या अब रिश्तों पर जमीं बर्फ पिघलेगी। इस पर राजकुमार भाटी ने कहा कि अभी तो नेताजी के चिता की राख भी ठंडी नहीं हुई है और आप चाचा-भतीजा के बीच रिश्तों को लेकर सवाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “हिंदू धर्म में 13 दिनों तक शोक की परंपरा है। अभी हम शोक में हैं और हमारी पार्टी ने तय किया है कि हम लोग चैनलों पर न तो कोई बात करेंगे और न ही चर्चा करेंगे।”
पार्टी प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने कहा, “पार्टी में अभी सभी लोग शोक में डूबे हैं और मेरे लिए यह संभव नही है कि मैं इस पर कुछ बोलूं? यह शोभा भी नहीं देता है कि मैं पार्टी के आपसी संबंध पर अपनी राय रखूं।” एंकर अमित गर्ग शुक्ला ने पूछा कि लेकिन अब पार्टी किस तरह आगे बढ़ेगी और नेताजी के सिद्धांतों पर किस तरह काम करेगी, इस पर आपकी क्या राय है?
उन्होंने कहा, “ये जो विरोधी दल समाजवादी कुनबा है, ये सभी लोग राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह की विरासत से निकले लोग हैं। चौधरी चरण सिंह और लोहिया जी के शिष्य सभी दलों में हैं और लोग चाहे अखिलेश यादव हों, शिवपाल यादव हों, जयंत चौधरी हों या फिर ओम प्रकाश राजभर हों, जो भी दलित, पिछड़े, मजदूर और गरीबों की राजनीति कर रहे हैं, वे सब हमारे परिवार के सदस्य हैं, चाहे अलग दल के हों या अलग संगठन के हों। नेताजी ने अपने दम पर एक साधारण किसान परिवार से निकलकर इतने लोगों को जोड़ा था, सबको फिर एक किया जाएगा।”