उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही राजनीतिक दल अब एक्टिव होने लगे हैं। कोरोनावायरस महामारी के बीच यूपी में जिन नेताओं ने सीएम योगी आदित्यनाथ को घेरना शुरू किया है, उनमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम सबसे ऊपर है। उन्होंने गुरुवार को प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नई दिल्ली और लखनऊ के बीच जारी तनाव शासन में नए संकट की ओर इशारा करता है।

बता दें कि अखिलेश का यह बयान ठीक उसी दिन आया जब यूपी सीएम दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे। योगी शुक्रवार को दिल्ली में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने वाले हैं। अखिलेश ने भाजपा के धड़ों के बीच चल रही अंदरूनी कलह की खबरों पर ध्यान दिलाते हुए कहा, “कोरोनावायरस संक्रमण के साथ उत्तर प्रदेश राजनीतिक संक्रमण से भी जूझ रहा है। भाजपा सरकार के पास सत्ता में अब बेहद कम दिन बचे हैं और अब मुख्यमंत्री के हाथ से भी नियंत्रण छूट रहा है।”

उन्होंने आगे कहा, “जिस तरह दिल्ली और लखनऊ के बीच तनाव के संकेत मिल रहे हैं, ऐसा लगता है यह नए संकट की ओर इशारा है। यह सरकार नाकाम है और सीएम दिल्ली भाग रहे हैं। राज्य के लोग सच्चाई से अच्छी तरह वाकिफ हैं। सपा अध्यक्ष ने कहा कि इसमें कोई शक ही नहीं है कि भाजपा ने राजनीतिक संक्रमण फैलाने का भी काम किया है। भाजपा ने सांप्रदायिक आधार पर प्रशासन चलाने की कोशिश की। इस सरकार ने विपक्षी नेताओं के खिलाफ अभियान चलाया।

योगी सरकार पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रशासन कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे भाजपा नेताओं के प्रति आंख बंद कर लेता है। मेरठ में एक भाजपा नेता होर्डिंग लेकर घूमता है कि ‘अगर आप स्वस्थ हैं, तो मास्क न पहनिए।’ जो भी लोग इस तरह से आम जनता को बहका रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।” बता दें कि अखिलेश ने इन बातों के जरिए इटावा में कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने वाले सपा नेता पर हुई कार्रवाई के मुद्दे को भी उठाया।