विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी प्राची के ‘मुस्लिम मुक्त भारत’ संबंधी बयान को लेकर गुरुवार (9 जून) को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सदस्यों ने पीडीपी-भाजपा सरकार से साध्वी के बयान की निंदा करने की मांग की। प्रश्न काल के दौरान निर्दलीय विधायक शेख अब्दुल रशीद ने यह मुद्दा उठाते हुए सरकार से इस बयान पर स्पष्टीकरण मांगा।
रशीद ने कहा, ‘क्या ‘देश बदल रहा है’ का मतलब यही है?’ कांग्रेस के सदस्यों ने भी उनका समर्थन करते हुए साध्वी प्राची के बयान की निंदा की। कांग्रेस विधायक जीएम सरूरी ने कहा, ‘ये मुस्लिम मुक्त भारत क्या है? क्या वे गुजरात (2002 दंगा) दोहराना चाहते हैं?’

उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता निर्मल सिंह ने कहा कि बयान अखबारों में आया है और ऐसे बयानों पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है। सिंह ने कहा, ‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां नास्तिकों सहित सभी धर्मों और समुदायों के लोग रहते हैं। जो बयान अखबारों में आया है वो उचित नहीं है।’

साध्वी प्राची के विवादित बयान को लेकर गुरुवार (9 जून) को दूसरे दिन भी जम्मू-कश्मीर विधान परिषद् में हंगामा जारी रहा। सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और कांग्रेस के सदस्यों ने बयान की निंदा करते हुए सदन में प्रस्ताव पारित करने की मांग रखी। नेकां एमएलसी शहनाज गनई ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सदन एक प्रस्ताव पारित कर बयान की निंदा करे।’

सदन के सभापति इनायत अली ने यह कह कर कि सरकार इस पर बुधवार (8 जून) को  जवाब दे चुकी है, मामले को कुछ शांत करने का प्रयास किया। लेकिन सदस्यों ने कुछ भी सुनने से इनकार कर दिया और विहिप नेता तथा आरएसएस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस सदस्य गुलाम नबी मोंगा ने कहा, ‘हम जवाब नहीं चाहते हैं, निंदा चाहते हैं।’ इसपर भाजपा सदस्यों ने भी आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।

सदन में मौजूद कानून एवं न्याय मंत्री अब्दुल हक ने विपक्ष के सदस्यों को शांत कराने का प्रयास करते हुए कहा कि सदन के नेता और शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने बुधवार (8 जून) को इस संबंध में सदन में बयान दिया है और अब इसे फिर से उठाने की कोई जरूरत नहीं है।

मोगा ने कहा, यदि सरकार बयान की निंदा करती है तो, विपक्ष द्वारा लाया गया प्रस्ताव सदन में रखा जाना चाहिए। सभापति ने कहा कि वह नियमों के आधार पर इनपर विचार करेंगे। सभापति की ओर से आश्वासन मिलने के बावजूद नेकां सदस्यों ने नारेबाजी जारी रखी और सदन से बहिर्गमन कर गए।