सुप्रीम कोर्ट ने रुचिका गिरहोत्रा छेड़छाड़ मामले में हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौड़ के दोषी होने की शुक्रवार को पुष्टि कर दी। हालांकि न्यायमूर्ति एमबी लोकुर की अध्यक्षता वाले पीठ ने राठौड़ की 18 महीने की कैद की सजा को घटाकर जेल में बिताई गई अवधि तक सीमित कर दिया। शीर्ष अदालत ने 2010 में राठौर को जमानत दे दी थी। लेकिन तब तक वे छह महीने जेल की सलाखों के पीछे गुजार चुके थे।
राठौड़ ने खुद को दोषी ठहराए जाने और सजा की अवधि को छह महीने से बढ़ाकर 18 महीने करने के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। सत्र अदालत ने 25 मई 2010 को सीबीआइ और गिरहोत्रा परिवार की याचिका स्वीकार करते हुए राठौड़ की जेल की सजा की अवधि को छह महीने से बढ़ाकर 18 महीने कर दिया था।

इससे पहले एक सितंबर 2010 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने राठौर की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने खुद को दोषी ठहराए जाने और सजा की अवधि बढ़ाने के फैसले को चुनौती दी थी। याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा था कि उन्होंने जो हरकत की है वह किसी भी आला अधिकारी के लिए शर्मनाक है।

गौरतलब है कि 1990 में हुए रुचिका गिरहोत्रा छेड़छाड़-खुदकुशी कांड में हरियाणा के तत्कालीन डीजीपी एसपीएस राठौड़ का नाम आया था। आरोप था कि पीड़ित रुचिका के परिवार को दरबदर ठोकरें खाने को मजबूर किया गया। पंचकूला में उनका घरबार बिक गया और यहां तक कि रुचिका के बेकसूर भाई आशू को कैसे शहर में हथकड़ी लगाकर घुमाया गया था और इस कदर प्रताड़ित किया गया कि वह चलने-फिरने के लायक नहीं रहा था। फिर 19 साल के लंबे अंतराल के दौरान देश की विभिन्न अदालतों में 400 से ज्यादा सुनवाई और 40 बार मामला स्थगित किए जाने के बाद 22 दिसंबर, 2009 को एसपीएस राठौड़ को प्रकरण में दोषी ठहराया गया और उसे छह महीने की सजा सुनाई गई व 1000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।

इसके बाद सीबीआइ ने राठौड़ की सजा को चुनौती दी और उसे अधिकतम दो साल तक बढ़ाए जाने की गुहार लगाई। सीबीआइ की विशेष अदालत द्वारा उसे दोषी ठहराए जाने संबंधी फैसले को चुनौती देने वाली राठौड़ की याचिका को खारिज करते हुए चंडीगढ़ जिला अदालत ने 25 मई को राठौड़ की छह महीने की सजा को बढ़ाकर डेढ़ साल की सश्रम कैद में बदल दिया। यहां तक कि राठौड़ को मौके पर हिरासत में लेकर चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल में ठूंस दिया गया था। पर बाद में 11 नवंबर, 2010 को सर्वोच्च अदालत ने उसे चंडीगढ़ में ही रहने की शर्त के साथ जमानत दे दी।

रुचिका चंडीगढ़ में सेक्रेड हार्ट स्कूल में 10वीं की छात्रा थी और उसके पिता एससी गिरहोत्रा यूको बैंक में अधिकारी थे। वह अपनी सहेली आराधना प्रकाश के साथ हरियाणा लॉन टेनिस एसोसिएशन के लॉन कोर्ट में टेनिस सीखने जाती थी। बाद में रुचिका छेड़छाड़ प्रकरण में शिकायतकर्ता और मुख्य गवाह आराधना के ही माता-पिता ने यह मामला राठौड़ के खिलाफ अदालतों में अपने बूते पर लड़ा। राठौड़ ने रुचिका से छेड़छाड़ तब की थी, जब उसका कार्यालय उसकी पंचकूला स्थित सेक्टर-6 स्थित कोठी नंबर-469 में हुआ करता था, जहां उसने उसके पीछे सरकारी जमीन पर कब्जा करके एसोसिएशन का लॉन टेनिस कोर्ट बना रखा था, और वहीं ये दोनों सहेलियां अन्य लड़कियों के संग वहां टेनिस सीखने जाती थीं। बाद में आला अधिकारियों ने इस कोर्ट को बैडमिंटन कोर्ट में बदल दिया।