RLD-BJP Alliance: उत्तर प्रदेश में भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के बीच एक नया तनाव पैदा हो गया। जब 14 सितंबर को हाथरस के दाऊजी मेले में आयोजित पंजाबी दरबार में एक कार्यक्रम के दौरान हरियाणवी गायक एंडी जाट ने अपना चर्चित गीत ‘आरएलडी आई रे…’ गया। जिसको भाजपा के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर बंद करवा दिया और एंडी जाट को मंच से नीचे उतरने के लिए कहा। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई। बता दें, केंद्र सरकार में उत्तर प्रदेश के पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले जयंत चौधरी केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हैं।

14 सितंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस में श्री दाऊजी महाराज मेले में एक संगीत कार्यक्रम हुआ। यह क्षेत्र आरएलडी और उसके प्रमुख जयंत चौधरी का राजनीतिक गढ़ है, जो मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं।

गायक एंडी जाट ने अभी ‘आरएलडी आई रे…’ गाना शुरू ही किया था, जिसे पार्टी ने अपना गान बताया है, तभी उन्हें कथित तौर पर मंच से उतर जाने को कहा गया। दर्शकों में हाथरस से भाजपा सांसद अनूप वाल्मीकि भी मौजूद थे। रालोद नेताओं ने जल्द ही दावा किया कि वाल्मीकि द्वारा समर्थित भाजपा कार्यकर्ताओं ने ही गायक को मंच से उतरने के लिए कहा था।

यह बात तेज़ी से फैली और जयंत चौधरी तक पहुंच गई। जयंच लखनऊ में एक निजी कार्यक्रम और कुछ आधिकारिक कार्यक्रमों के लिए गए थे। सूत्रों के अनुसार, सादाबाद (हाथरस ज़िला) के विधायक प्रदीप कुमार सिंह ने ही चौधरी को गायक के प्रति किए गए “अनादर” के बारे में बताया।

एक सूत्र ने बताया कि जैसे ही जयंत जी को इस घटना के बारे में पता चला। उन्होंने मेले में जाने और उसी गायक से उसी मंच पर यह गीत गवाने का मन बना लिया।

तदनुसार, चौधरी के कुछ कार्यक्रम पुनर्निर्धारित किए गए, और लखनऊ से दिल्ली जाने के बजाय वे भारी बारिश के बीच हाथरस पहुंच गए, पार्टी सूत्रों के अनुसार, अगर किसी को उनके इरादों को लेकर कोई संशय था तो लखनऊ से निकलने से पहले चौधरी द्वारा एक्स पर डाली गई एक पोस्ट ने स्पष्ट कर दिया था, “चलो लखनऊ से हाथरस चलते हैं। ‘आरएलडी आई रे…’।

एंडी जाट को हरियाणा से हाथरस वापस आने को कहा गया और बताया गया कि वे चौधरी के साथ मंच साझा करेंगे। आखिरकार, बुधवार को वाल्मीकि जी की उपस्थिति में चौधरी और कई अन्य नेताओं के साथ एंडी जाट ने गीत फिर से गाया और उसे पूरा किया।

सूत्रों ने बताया कि स्थानीय भाजपा नेताओं और प्रतिनिधियों ने मामले को शांत करने की कोशिश करते हुए चौधरी को बताया कि एंडी जाट का प्रदर्शन 14 सितंबर को केवल “समय की कमी” के कारण रोका गया था और “किसी और कारण से नहीं”।

बुधवार को कार्यक्रम से विदा लेते हुए जयंत चौधरी ने संकेत दिया कि अब वे बीती बातों को भूलने को तैयार हैं। भाजपा के साथ किसी भी तरह के मतभेद से जुड़े सवालों को टालते हुए उन्होंने कहा कि हाथरस मेरा क्षेत्र है और मैं यहां आया हूं। किसी मजबूरी में नहीं।

गायक, जिसे कथित तौर पर हलचल न मचाने की हिदायत दी गई थी। उन्होंने कहा कि वह मेले में वापस आया था क्योंकि चौधरी वहां आए थे। 14 सितंबर को क्या हुआ था, इस बारे में एंडी जाट चुप रहे।

संयोग से, ‘आरएलडी आई रे…’ गीत गायक ने 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले रचा और लिखा था, जब रालोद समाजवादी पार्टी की सहयोगी थी और भाजपा तथा एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ रही थी। पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले रालोद एनडीए में शामिल हो गई, जिसके बाद जयंत चौधरी केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा राज्य मंत्री भी बने।

एंडी जाट के सोशल मीडिया पर काफी अच्छे फॉलोवर्स हैं, यूट्यूब पर उनके 2.96 लाख और इंस्टाग्राम पर 1.75 लाख फॉलोवर्स हैं।

रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके लिए “आरएलडी आई रे…” एक गीत से कहीं बढ़कर है। उन्होंने कहा कि यह एक भावना है जो कार्यकर्ताओं को बांधती और उत्साहित करती है। जो कोई भी इस भावना का अनादर करने की कोशिश करेगा, उसे यह समझ लेना चाहिए कि इसे हल्के में नहीं लिया जाएगा। इसीलिए जयंत जी ने न केवल एक जैसे बोलों वाला एक पोस्ट डाला, बल्कि उसी जगह पर उसी गायक के साथ उसी मंच पर भी पहुंचे।

14 सितंबर को जो हुआ उस पर रालोद नेता ने कहा कि जहां तक हमारा सवाल है, गायक को मंच से उतरने के लिए मजबूर करना अच्छी बात नहीं थी। (लेकिन) भाजपा और रालोद के बीच कोई समस्या नहीं है। हमारा गठबंधन मज़बूत है।

हालांकि, जैसे-जैसे 2027 और अगला विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहा है, यूपी में भाजपा के सहयोगी दल बेचैनी दिखा रहे हैं। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण पिछले महीने दिल्ली में भाजपा के बिना, यूपी के भाजपा के ओबीसी सहयोगियों का एक जमावड़ा था। उनमें रालोद नेता चंदन चौहान भी शामिल थे।

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चौधरी पहले भी उत्तर प्रदेश सरकार के फैसलों से असहमत होने पर अपनी राय नहीं छिपाते रहे हैं। पिछले साल जुलाई में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के पुलिस के आदेश के बाद रालोद प्रमुख ने कहा था कि पुलिस का यह कदम “अनावश्यक” था और यह फैसला “बहुत सोच-विचार के बाद नहीं लिया गया था”।

उस घटना के बाद इंडियन एक्सप्रेस के एक आइडिया एक्सचेंज कार्यक्रम में चौधरी ने कहा था कि मैं योगी (आदित्यनाथ) नहीं हूं। मुझे उनकी हर बात या हर काम से सहमत होने की ज़रूरत नहीं है। और हम भाजपा नहीं हैं, हम एक सहयोगी हैं।

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