जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से चल रही सियासी अस्थिरता के बीच इन दिनों तेजी से स्थितियां बदली हैं। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आनन-फानन में विधानसभा भंग कर दी। इसके चलते भाजपा नीत केंद्र सरकार पर कई तरह के सवाल उठने लगे। भाजपा के शीर्षस्थ सूत्रों के हवाले से लिखी गई एक खबर के मुताबिक बंद कमरे में हुई भाजपा की एक उच्च स्तरीय बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने पहले ही बड़ी चेतावनी दी थी।
राज्य में तेजी से करवटें ले रही सियासत के बीच ‘द हिंदू’ में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक भाजपा की इस बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग करने से पार्टी की ‘बदनामी’ हो सकती है। हालांकि इस बैठक में सदन को भंग करने पर सहमति बनी थी।
गौरतलब है कि राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर एक पत्र शेयर किया था जो उन्होंने फैक्स और ई-मेल के जरिये राज्यपाल सत्यपाल मलिक को भेजा था। मुफ्ती के पत्र में लिखा गया था कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए सबसे बड़ी पार्टी पीडीपी को समर्थन देने की बात कही है। मुफ्ती ने विधायकों की कुल संख्या उठाते हुए राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इसके साथ ही उन्होंने राज्यपाल पर फोन नहीं उठाने और फैक्स रिसीव नहीं करने का भी आरोप लगाया था।
Have been trying to send this letter to Rajbhavan. Strangely the fax is not received. Tried to contact HE Governor on phone. Not available. Hope you see it @jandkgovernor pic.twitter.com/wpsMx6HTa8
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
‘चुनाव के लिए तैयार नहीं थे भाजपा विधायक’
रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के भाजपा विधायक भी चुनाव के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि सभी के तीन-तीन साल के कार्यकाल अभी बचे हैं। राज्य में चुनाव कराना मतलब कई तरह की चुनौतियों से टकराना है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनाव का भी कई स्थानीय पार्टियों ने बहिष्कार किया था। इसके चलते करीब सौ सीटों पर निर्विरोध चुनाव जीता गया। इसके साथ ही अनंतनाग लोकसभा सीट पर अभी तक उपचुनाव नहीं हो पाया है।