रामलीला मंचन केवल अभिनय भर नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं की जीवंत प्रस्तुति है। दिल्ली में चल रही विभिन्न रामलीलाओं में कुछ ऐसे कलाकार भी हैं, जो दिनभर सरकारी नौकरी करने के बाद रात में मंच पर रावण, राम और मंदोदरी जैसे पात्र निभाते हैं। लालकिला मैदान में नवश्री धार्मिक लीला में रावण का किरदार निभा रहे मनोज चमोली, पर्यावरण मंत्रालय के ‘नेशनल बायोडायवर्सिटी अथारिटी’ में संपर्क अधिकारी हैं। वे 2018 से लगातार रावण की भूमिका निभा रहे हैं, जबकि इससे पहले कई वर्षों तक वे मेघनाथ, परशुराम और कुंभकरण जैसे पात्र निभा चुके हैं।
वहीं, अमेरिका निवासी सुनील गुप्ता हर साल विशेष रूप से दिल्ली आते हैं ताकि अशोक नगर की आदर्श रामलीला समिति में रावण का अभिनय कर सकें। दिल्ली सरकार के स्कूल में अध्यापिका राखी बिष्ट, रामलीला में कौशल्या, शबरी और मंदोदरी के पात्र निभा रही हैं। वहीं, बीएसईएस में कार्यरत आशु शर्मा, दिनभर बिजली आपूर्ति के कार्य के बाद रात को भगवान राम का अभिनय करते हैं।
जलकर राख हुई सोने की लंका
लालकिला मैदान में आयोजित लवकुश रामलीला के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने बताया कि रविवार को दशानन रावण के सोने की विशाल लंका के दहन का मंचन किया गया। इस दौरान भारी-भरकम गदाओं और विशेष ध्वनि के माध्यम से बाली के वध को दिखाया गया। इसके अलावा शबरी-राम भेंट, राम-सुग्रीव मित्रता, सीता की खोज, लंकिनी भेंट, रावण-सीता संवाद, अक्षय कुमार वध व रावण-हनुमान संवाद का मंचन किया गया।
शबरी-राम भेंट का हुआ मंचन
नवश्री धार्मिक लीला कमेटी में रविवार को मंचन की शुरूआत खर-दूषण वध से की गई। इसमें राक्षसों का संहार व धर्म की रक्षा का संदेश दिया गया। लीला के महामंत्री जगमोहन गोटेवाला ने बताया कि रविवार को रावण को शूर्पणखा द्वारा उकसाने का प्रसंग हुआ। साथ ही राम-शबरी भेंट में श्रीराम के भक्तवत्सलता को प्रेरणादायक बनाया गया था।
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रामलीला केवल नाटक नहीं, भारतीय संस्कृति की आत्मा है : प्रवेश वर्मा
द्वारका सेक्टर-10 स्थित रामलीला ग्राउंड में आयोजित द्वारका श्रीरामलीला सोसायटी के अध्यक्ष आकाश राजेश गहलोत ने बताया कि रविवार को सीता हरण, राम विलाप, राम-हनुमान मिलन, शूर्पणखा की नाक काटना, खर-दूषण वध का अद्भुत मंचन देखने को मिला। इस दौरान दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रवेश साहिब सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि रामलीला केवल नाटक नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो समाज को धर्म व नीति और आदर्शों का पाठ पढ़ाती है। ऐसे आयोजन नई पीढ़ी को अपने संस्कारों से जोड़ते हैं।