अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला की सुरक्षा को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब राम मंदिर की सुरक्षा की कमान उत्तर प्रदेश सरकार के हाथों में होगी। इसके लिए एक स्पेशल टास्ट फोर्स बनाया गया है। यह राम मंदिर और रामलला की सुरक्षा देखेगी। अभी तक सीआरपीएफ के हाथों में राम मंदिर की सुरक्षा है। 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से इसकी सुरक्षा सीआरपीएफ के हवाले हैं।

क्या है एसएसएफ?

एसएसएफ का गठन पीएसी और यूपी पुलिस के चुनिंदा जवानों को मिलाकर किया गया है। इन जवानों को सप्ताह भर की ट्रेनिंग के बाद तैनात किया जाएगा। रामजन्मभूमि की सुरक्षा में कुल 280 जवान तैनात होंगे। इनमें से 80 जवान अयोध्या में पहुंच चुके हैं। अभी उनकी एक सप्ताह की स्पेशल ट्रेनिंग होगी। इस दौरान उन्हें सुरक्षा चुनौतियों और उससे निपटने को लेकर जानकारी दी जाएगी। किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई को लेकर उन्हें लोकेशन और रूट मैप की भी जानकारी दी जाएगी। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि परिसर के बाद काशी और मथुरा के मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी भी एसएसएफ संभालेगी। इसके अलावा प्रदेश के सभी हवाई अड्डों पर भी इन जवानों की तैनाती की जाएगी।

फिलहाल कैसी है रामलला की सुरक्षा?

रामलला की सुरक्षा के लिए सबसे अंतिम भाग में सीआरपीएफ के जवान तैनात रहते हैं। इन्हीं के ऊपर पूरी सुरक्षा का जिम्मा है। यहां एक महिला बटलियन समेत 6 बटालियन मौजूद हैं। इनके जिम्मे रेड जोन का इलाका आता है। इसके अलावा पीएसी की भी 12 कंपनियां तैनात हैं। वहीं बाहर पुलिस का पहरा रहता है।

राष्ट्रपति भवन और संसद जैसी होगी सुरक्षा

श्रीरामजन्मभूमि परिसर की सुरक्षा के लिए संसद व राष्ट्रपति भवन जैसी राममंदिर की सुरक्षा का प्लान बन चुका है। एसएसएफ के सभी जवान अत्याधुनिक हथियारों से लैस होंगे। पूरे परिसर की निगरानी के लिए एक मॉडन कंट्रोल रूम भी लगभग बनकर तैयार है। 77 करोड से अत्याधुनिक हथियार भी खरीदे जा चुके हैं। परिसर में बम निरोधक दस्ता व डॉग स्क्वॉयड की स्थायी तैनाती भी की जा रही है। अभी जरूरत पड़ने पर इन टीमों को बाहर से बुलाया जाता है।