अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम है। इसके मद्देनजर योगी सरकार ने एक आदेश जारी किया है। 22 जनवरी को UP के स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे। साथ ही प्रदेश में शराब की दुकानें भी नहीं खुलेंगी। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे।

हिंदू ग्रंथों से चुने बच्चों के नाम- ट्रस्ट के सदस्य ने कहा

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले मंदिर ट्रस्ट के एक वरिष्ठ सदस्य ने लोगों से अपने बच्चों के लिए नाम हिंदू ग्रंथों से चुनने का आग्रह किया और उन्हें ‘संस्कृति की शिक्षा’ देने का आह्वान किया है। ट्रस्ट के सदस्य स्वामी विश्वप्रसन्ना तीर्थ ने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि मंदिर के निर्माण से भी बड़ा काम उसे संरक्षित करना है।

स्वामी विश्वप्रसन्ना ने कहा, “सदियों से हमने जो सपना देखा था, वह पूरा हो गया है। लेकिन यह नहीं मान लेना चाहिए कि हमारी जिम्मेदारियां खत्म हो गईं। हमारी सोच यह होनी चाहिए कि कितने वर्षों तक मंदिर उसी रूप में बना रहे और कोई उसे फिर नुकसान न पहुंचा सके।” स्वामी विश्वप्रसन्ना ने बामियान में बुद्ध की मूर्तियों को नष्ट किए जाने का जिक्र करते हुए कहा, “जब तक हमारे बच्चे हिंदू बने रहेंगे और हिंदू बहुसंख्यक रहेंगे, तब तक मंदिर एक मंदिर के रूप में मौजूद रहेगा। देखिए अफगानिस्तान में क्या हुआ, जहां बुद्ध की मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया।”

स्वामी विश्वप्रसन्ना तीर्थ ने यह भी कहा कि मंदिर बनाना कोई बड़ा काम नहीं है। उन्होंने कहा कि बड़ा कर्तव्य इसे मंदिर के रूप में संरक्षित करना है। पेजावर मठ के विश्वप्रसन्ना ने कहा, “हम हमेशा के लिए जीवित नहीं रहने वाले हैं। हमें अपने बच्चों में हिंदू धर्म और सनातन धर्म के मूल्य डालने होंगे। अपने बच्चों को ‘संस्कृति’ की शिक्षा देकर ही हम इसे संरक्षित करने में सक्षम होंगे।”

सदियों का सपना अब पूरा हो गया- विश्वप्रसन्ना

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बारे में पूछे जाने पर स्वामी विश्वप्रसन्ना ने कहा, “सदियों का सपना अब पूरा हो गया है। यह एक कानूनी लड़ाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला दिया। जो लोग संविधान में विश्वास करते हैं और सुप्रीम कोर्ट के प्रति सम्मान रखते हैं, उन्होंने इसे स्वीकार किया है। बच्चों के नाम वेदों, पुराणों, रामायण और महाभारत से चुने जाने चाहिए। इससे बच्चों को यह जानने में मदद मिलेगी कि वे किस संस्कृति से हैं।”