सरकार ने सोमवार बताया कि 2019 तक देश में सभी परिवारों के पास शौचालय होंगे। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री बीरेंद्र सिंह ने बिमला कश्यप सूद के सवाल के जवाब में राज्यसभा को बताया कि दो अक्तूबर 2019 तक हिमाचल प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों सहित सभी राज्यों के सब परिवारों में शौचालय होंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्वच्छता कवरेज में तेजी लाने में राज्यों को सहायता देने के लिए सरकार ने दो अक्तूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की शुरूआत की थी। 2012-13 में राज्यों के सर्वेक्षण के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 86.04 फीसद कवरेज थी, जो नौ मार्च 2016 की स्थिति के अनुसार बढ़कर 94.25 फीसद हो गई है। मंत्री ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की शुरूआत से नौ मार्च 2016 तक की स्थिति के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 89,302 वैयक्तिक पारिवारिक शौचालय निर्मित किए जा चुके हैं।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी ने राज्यसभा में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के उपायों से संबंधित भाजपा के आर के सिन्हा के पूरक सवालों के जवाब में बताया कि सरकार ट्रकों में वातानुकूलित कैबिन की व्यवस्था करना चाहती है, जो अनिवार्य होगी। उन्होंने ट्रकों के चलते होने वाली दुर्घटनाओं के संबंध में कहा कि ट्रक चालकों को 12-12 घंटे तक लगातार काम करना पड़ता है और ट्रक कैबिन में तापमान कई बार 47 डिग्री तक पहुंच जाता है।

उन्होंने कहा कि ट्रकों में वातानुकूलित कैबिन होने से चालकों को राहत मिलेगी। गडकरी ने कहा कि अब ड्राइविंग लाइसेंस कंप्यूटराइज्ड प्रक्रिया से बनाने पर जोर दिया जा रहा है। गडकरी ने इस बात को माना कि चालकों की आंखों में दृष्टि संबंधी दिक्कत होने, आसानी से लाइसेंस मिल जाने और वाहन चलाने का उचित प्रशिक्षण न होने जैसी चीजें सड़क दुर्घटनाओं का बड़ा कारण हैं। मंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे केंद्र खोले जाएंगे जहां वाहन चलाने का उचित प्रशिक्षण और सड़क सुरक्षा से संबंधित जानकारी दी जाएगी।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावडेकर ने विवेक गुप्ता के पूरक सवाल के जवाब में राज्यसभा में बताया कि पिछले दो साल से गंगा से संबंधित किसी परियोजना को पर्यावरण मंजूरी प्रदान नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि जल विद्युत और नदी घाटी परियोजनाओं के लिए पर्यावरण स्वीकृति प्रदान करने की प्रक्रिया अभी तक यथा संशोधित पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ईआइए) अधिसूचना, 2006 में निर्धारित है।

मंत्री ने कहा कि नदी का पर्यावरणीय प्रवाह, जल विद्युत परियोजनाओं को प्रदान की जाने वाली स्वीकृति में निर्धारित शर्तों में से एक है। हरिद्वार में दिसंबर 1916 में आयोजित एक सम्मेलन की कार्यवाहियों के निष्कर्षों के आधार पर मंत्रालय ने प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं की जरूरत के लिए हाल ही में गंगा नदी और इसकी तीन सहायक नदियों (अलकनंदा, भागीरथी और मंदाकिनी) के प्राकृतिक नदी बेसिनों में न्यूनतम 1,000 क्यूसेक जल का अविरल एवं अबाधित प्रवाह बनाए रखने पर विचार किया है।