उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों पर 11 जून को होने वाले मतदान से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को अपने पत्ते नहीं खोले और कहा कि परिणामों से पता चल जाएगा कि उनकी पार्टी ने किसे समर्थन किया है। मायावती ने यहां कहा, ‘शुक्रवार को विधान परिषद और शनिवार को राज्यसभा का चुनाव है। हम किसे समर्थन कर रहे हैं और किसे नहीं, ये परिणाम निकलने के बाद सामने आ जाएगा।’
प्रदेश विधानसभा में 403 सीटें हैं, जिनमें से 80 विधायक बसपा के हैं। बसपा ने राज्यसभा के लिए दो उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। जीत के लिए हर उम्मीदवार को 34 मतों की जरूरत होगी। इस प्रकार बसपा के पास 12 अतिरिक्त वोट बचेंगे। राजनीतिक प्रेक्षकों की निगाहें इन्हीं अतिरिक्त वोटों पर हैं। विधान परिषद में स्थिति उलट है। बसपा ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं और हर उम्मीदवार को जीत के लिए 29 मतों की जरूरत के आंकडेÞ को देखें तो यहां बसपा के तीसरे उम्मीदवार को सात वोट कम पड़ रहे हैं। महत्त्वपूर्ण है कि राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में मतदान की तिथि करीब आने के साथ ही प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। विधायकों की मैराथन बैठकों का सिलसिला जारी है। रालोद द्वारा कपिल सिब्बल के पक्ष में मतदान करने का वादा किए जाने के बाद हालांकि कांग्रेस सहज दिख रही है। कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप माथुर ने बताया कि सिब्बल की जीत सुनिश्चित है क्योंकि अजित सिंह के नेतृत्व वाले रालोद ने सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए कांग्रेस और सपा के समर्थन का फैसला किया है। राज्यसभा में जीत के लिए हर उम्मीदवार को प्रथम वरीयता वाले चौंतीस-चौंतीस मतों की आवश्यकता होगी।
इस हिसाब से कांग्रेस के 29 विधायक हैं तो उसके पास पांच वोट कम हैं। आठ विधायकों वाली रालोद कांग्रेस के समर्थन में वोट करती है तो सिब्बल की जीत तय है। सपा ने सात उम्मीदवार उतारे हैं लेकिन उसके सातवें उम्मीदवार के पास प्रथम वरीयता वाले नौ वोट कम हैं। प्रदेश विधानसभा में 403 सीटें हैं। सपा के 229, बसपा के 80, भाजपा के 41 और कांग्रेस के 29 विधायक हैं। बाकी सीटें पर छोटे दलों के और निर्दलीय विधायक हैं। इन्हीं छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों की भूमिका निर्णायक होगी। कांग्रेस को पांच वोट देने के बाद रालोद यदि बाकी तीन वोट सपा उम्मीदवार को देता है तो भी सपा उम्मीदवार के पास छह वोटों की कमी होगी।
रणनीति को अंतिम रूप देने के मकसद से सपा विधायक दल की रात्रिभोज पर बैठक हुई। उधर, माथुर ने बताया कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में तय किया गया कि पार्टी विधायकों को सिब्बल के पक्ष में मतदान के लिए विप जारी किया जाएगा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अपने विधायकों के साथ बैठक की है। इसमें संभवत: तय किया गया है कि पार्टी के पास शेष बचे 12 वोट किसे दिए जा सकते हैं। राज्यसभा के लिए मतदान 11 जून को होना है। शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के यहां दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचने के साथ ही सरगर्मियां तेज होने की संभावना है।
भाजपा ने एक उम्मीदवार उतारा है, जिसकी जीत तय है। समाजसेवी प्रीति महापात्र बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उतरी हैं। उनके नाम के प्रस्तावक भाजपा के 16 विधायकों, सपा के बागी विधायकों, कुछ छोटे दलों के विधायकों और निर्दलीय विधायक थे। कमोबेश राज्यसभा चुनाव जैसे हालात विधान परिषद चुनाव के भी हैं। यहां 13 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा के पास केवल 12 अतिरिक्त मत हैं। उसे 17 और मतों की आवश्यकता है। परिषद में एक उम्मीदवार को 29 मतों की आवश्यकता होगी। राज्यसभा चुनाव में सपा की ओर से अमर सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा, कुंवर रेवती रमण सिंह, विश्वंभर प्रसाद निषाद, सुखराम सिंह यादव, संजय सेठ और सुरेंद्र नागर उम्मीदवार हैं।